परासरण को उदाहरण द्वारा स्पष्ट कीजिएl
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परासरण (Osmosis)— परासरण एक विशेष प्रकार का विसरण है जिसमें जल अथवा विलायक के अणु अपने उच्च विभव क्षेत्र (शुरु विलायक) से भिन्न विभव क्षेत्र की ओर अर्ध-पारगम्य झिल्ली से पारगामी होते हैं। इस प्रकार विलायक अणुओं का अर्धपारगम्य झिल्ली के माध्यम से विलयन में विसरण परासरण (osmosis) कहलाता है।
अन्तः परासरण– परासरण क्रिया द्वारा जीवित कोशिकाओं या ऊतकों में जल प्रवेश (अन्तगर्मन) अन्तः परासरण कहलाता है।
बाह्य परासरण– परासरण क्रिया द्वारा कोशिकाओं या ऊतकों से जल का निकास (बहिर्गमन) बाह्य परासरण कहलाता है।
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Explanation:
परासरण (osmosis) : वह प्रक्रिया जिसमें विलायक के कण , कम सांद्रता से अधिक सांद्रता की तरफ अर्द्ध पारगम्य झिल्ली से होकर स्वत: गति करते है , उसे परासरण कहते है।
परासरण की घटना को निम्न उदाहरण द्वारा समझा जा सकता है –
हम समान आकार के दो अंडे लेते है , याद रखे कि अंडे का बाहरी खोल CaCO3 का बना होता है जब इस अंडे के खोल को तनु HCl के विलयन में डाला जाता है तो यह खोल घुल जाता है , अंडे में इस खोल के अन्दर एक परत होती है जिसे अर्द्ध पारगम्य झिल्ली कहते है।
अब बिना खोल वाले एक अंडे को आसुत जल के विलयन में रख देते है और दुसरे अंडे को नमक के विलयन में रखते है , समान समय तक रखने के बाद हम दोनों का निरिक्षण करते है तो पाते है कि जो अंडा आसुत जल में रखा गया था वह फूल जाता है लेकिन नमक के विलयन में रखा हुआ अंडा नहीं फूलता है।
यह परासरण के कारण होता है , परासरण के कारण आसुत जल के अणु अर्द्ध पारगम्य झिल्ली को पार करके अंडे में चले जाते है जिससे यह फूल जाता है लेकिन नमक के विलयन में विलयन के अणु , अर्द्ध पारगम्य झिल्ली को पार नहीं कर पाते है इसलिए अन्दर प्रवेश नहीं कर पाते।