पराश्रित व्यक्ति कैसा जीवन व्यतीत करता है ?
Answers
Answer:
भारत एक आजाद देश है l प्रत्येक वर्ष आजादी का जश्न पूरे भारतवर्ष में बड़ी धूमधाम और उत्साहपूर्वक मनाया जाता है l आजादी से तात्पर्य है–प्रत्येक व्यक्ति को अपने मानवीय मौलिक अधिकारों को प्रयोग करने का पूर्ण रूप से अधिकार हो l चाहे वह निम्न,मध्य या उच्च वर्ग से ही सम्बन्धित क्यों न हो l इसके साथ ही साथ एक साधारण व्यक्ति स्वयं को दूसरे व्यक्ति के समक्ष दलित,दमित व उपेक्षित न महसूस करे अपितु वह अपने व्यक्तित्व और अस्तित्व को सुरक्षित रख सके l अब प्रश्न यह उठता है ,क्या भारत में रह रहा प्रत्येक व्यक्ति सम्पूर्ण रूप से आजादी का जीवन व्यतीत कर रहा है ?सन् 1947 को हमारा देश आजाद हुआ और थोड़ा-बहुत सामाजिक मूल्यों में बदलाव भी आया ,परन्तु समाज को परम्परागत रूढ़ियों से आज भी आजादी नहीं मिल पाई lआजादी से पूर्व भी व्यक्ति बेबसी,यातना व गुलामी का जीवन जीने को अभिशप्त था और आजाद भारत में भी वह अपने मानवाधिकारों से वंचित पालकों और मालिकों पर आश्रित रहकर गुलाम ही है lयदि भारत के प्रत्येक व्यक्ति को नागरिक के रूप में समाज की महत्त्वपूर्ण इकाई व उपयोगी अंग कहा जाता है, तो उसे मानवीय अधिकारों से अपरिचित तथा वंचित क्यों रखा जाता है ?उसे प्रत्येक क्षेत्र में अपने अधिकारों का उचित उपयोग करने की स्वतंत्रता क्यों नहीं दी जाती ?वह परमुखापेक्षी बनकर जीवन व्यतीत क्यों करता है ?आज भी ऐसे कई सवाल हमारे सामने खड़े हैं l गुलामी के चक्रव्यूह में पुरुष ,नारी,बच्चे व बुजुर्ग आदि सभी वर्ग प्रताड़ित होकर परिभाषित और प्रतिबंधित जीवन जी रहे हैं lअत्याचारों का सिलसिला कहीं रुकता ही नजर नहीं आता l