परिश्रमी- बड़े भाई साहब एक परिश्रमी विद्यार्थी थे। ... कुशल वक्ता- बड़े भाई साहब कुशल वक्ता थे वे छोटे भाई को अनेकों उदाहारणों द्वारा जीवन जीने ... मितव्यी- बड़े भाई साहब पैसों की फिजूलखर्ची को उचित नहीं समझते थे। ... आदर्श चरित्र- उनके मन में बड़ो के प्रति बहुत आदर-सम्मान था वे छोटे भाई के लिए आदर्श
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1) परिश्रमी- बड़े भाई साहब एक परिश्रमी विद्यार्थी थे। वे बहुत ही सहनशील और संयमी किस्म के
व्यक्ति थे एक ही कक्षा में तीन बार फेल हो जाने के बाद भी उन्होंने हार नही मानी और पढाई
जारी रखी|
2) कुशल वक्ता- बड़े भाई साहब कुशल वक्ता थे वे छोटे भाई को अनेकों उदाहारणों द्वारा जीवन जीने
की समझ दिया करते थे।
3) मितव्यी- बड़े भाई साहब पैसों की फिजूलखर्ची को उचित नहीं समझते थे। छोटे भाई को अकसर वे
माता-पिता के पैसों को पढ़ाई के अलावा खेल-कूद में गँवाने पर डाँट लगाते थे।
4) आदर्श चरित्र- उनके मन में बड़ो के प्रति बहुत आदर-सम्मान था वे छोटे भाई के लिए आदर्श
व्यक्तित्व थे और वे सभी नियम और कानून का पालन करते थे।
अथवा
वजीर अली की चारित्रिक विशेषताओं निम्न है-
वजीर अली एक सच्चा देशभक्त, साहसी, न्यायप्रिय, वीर, बुद्धिमान और जबाज सिपाही था। वह
हिंदुस्तान को गुलाम बनाने वाले अंग्रेजों से नफ़रत करता है। वह किसी भी प्रकार से हिंदुस्तान से
अंग्रेजी हुकूमत को समाप्त करना चाहता है। वजीर अली एक अच्छा शासक था|
वह अकेले कर्नल कॉलिंज के खेमे में जाकर उससे कारतूस प्राप्त करके अपनी निडरता एवं
साहस का परिचय देता है। उसकी बहादुरी की कर्नल भी प्रशंसा करता है| वह एक सच्चे सिपाही की
तरह हर समय देश की आजादी के लिए अपने प्राणों की बाजी लगाने के लिए तैयार रहता है|
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