परिश्रम के बिना क्या खोखला रह जाता है ?
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Parishram Ke Bina in manushya Samaj tatha Rashtra mein khokhla ho jata hai
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परिश्रम के बिना व्यक्ति, समाज तथा राष्ट्र का जीवन खोखला ही रह जाता है।
- परिश्रम एक साधना है जिसकी सहायता से मनुष्य अपने जीवन में जो चाहे प्राप्त कर सकता है।
- परिश्रम से कोई कार्य असंभव नह है।परिश्रमी मनुष्य पर्वत की चोटियों पर चढ़ सकता है, बड़ी से बड़ी कठिनाइयों को झेल सकता है।
- विकट परिस्थितियों में भी परिश्रम करके अपने लिए नए मार्ग खोज सकता है।
- परिश्रमी व्यक्ति में पुरूषार्थ होता है। वह हर विपत्ति का डटकर सामना करता है।
- हमारे जीवन में पग पग पर बाधाएं आती है परन्तु परिश्रमी व्यक्ति इन रुकावटों से कभी नहीं डरता तथा सतत आगे बढ़ता रहता है।
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