परिश्रम का फल हिंदी निबंध
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परिश्रम का फल
परिश्रम का हमारे जीवन में बहुत महत्त्व है। मनुष्य परिश्रम के द्वारा कठिन से कठिन कार्य सिद्ध कर सकता है। परिश्रम अर्थात मेहनत के ही द्वारा मनुष्य अपना लक्ष्य प्राप्त कर सकता है। कोई भी कार्य केवल हमारी इक्षा मात्र से ही नहीं सिद्ध होता है, उसके लिये हमें कठिन परिश्रम का सहारा लेना पड़ता है।
परिश्रम के ही बल पर मनुष्य अपना भाग्य बना सकता है। परिश्रम केवल अकेले मनुष्य के लिये ही नहीं लाभदायक होता है। हम देख सकते हैं, कि जिस देश के लोग परिश्रमी होते हैं, वह पूरा देश तरक्की प्राप्त करता है। अमरीका, चीन, रूस और जापान, इसके उदहरण हैं। छात्रों के जीवन में तो परिश्रम का बहुत अधिक महत्त्व होता है। हम देख सकते हैं कि परीक्षा में वे ही छात्र सफ़ल होते हैं जो परिश्रमी होते हैं। प्राचीन ग्रंथ, महाभारत में भी गुरू द्रोण का शिश्य अर्जुन, कठिन परिश्रम के ही द्वारा सर्वश्रेष्ठ धनुर्धर बन सका। भारत देश की स्वतंत्रता भी गांधी जी और नेहरू जी जैसे महापुरुषों के परिश्रम का फल है।
कुछ लोग सफ़लता का राज़, परिश्रम की जगह भाग्य को मानते हैं। उनका कहना होता है, कि भाग्य में जो लिखा होता है, उसे टाला नहीं जा सकता। यह बात असत्य है। मनुष्य यदि परिश्रम करे, तो होनी को भी टाल सकता है। किसी ने सत्य ही कहा है, कि परिश्रम ही सफ़लता की कुंजी है।
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परिश्रम का हमारे जीवन में बहुत महत्त्व है। मनुष्य परिश्रम के द्वारा कठिन से कठिन कार्य सिद्ध कर सकता है। परिश्रम अर्थात मेहनत के ही द्वारा मनुष्य अपना लक्ष्य प्राप्त कर सकता है। कोई भी कार्य केवल हमारी इक्षा मात्र से ही नहीं सिद्ध होता है, उसके लिये हमें कठिन परिश्रम का सहारा लेना पड़ता है।
परिश्रम के ही बल पर मनुष्य अपना भाग्य बना सकता है। परिश्रम केवल अकेले मनुष्य के लिये ही नहीं लाभदायक होता है। हम देख सकते हैं, कि जिस देश के लोग परिश्रमी होते हैं, वह पूरा देश तरक्की प्राप्त करता है। अमरीका, चीन, रूस और जापान, इसके उदहरण हैं। छात्रों के जीवन में तो परिश्रम का बहुत अधिक महत्त्व होता है। हम देख सकते हैं कि परीक्षा में वे ही छात्र सफ़ल होते हैं जो परिश्रमी होते हैं। प्राचीन ग्रंथ, महाभारत में भी गुरू द्रोण का शिश्य अर्जुन, कठिन परिश्रम के ही द्वारा सर्वश्रेष्ठ धनुर्धर बन सका। भारत देश की स्वतंत्रता भी गांधी जी और नेहरू जी जैसे महापुरुषों के परिश्रम का फल है।
कुछ लोग सफ़लता का राज़, परिश्रम की जगह भाग्य को मानते हैं। उनका कहना होता है, कि भाग्य में जो लिखा होता है, उसे टाला नहीं जा सकता। यह बात असत्य है। मनुष्य यदि परिश्रम करे, तो होनी को भी टाल सकता है। किसी ने सत्य ही कहा है, कि परिश्रम ही सफ़लता की कुंजी है।