परिश्रम के महत्व पर निबंध लिखने का कष्ट करें ।
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परिश्रम का मनुष्य के लिए वही महत्व है जो उसके लिए खाने और सोने का है । बिना परिश्रम का जीवन व्यर्थ होता है क्योंकि प्रकृति द्वारा दिए गए संसाधनों का उपयोग वही कर सकता है जो परिश्रम पर विश्वास करता है ।
Hard Work मतलब कठोर परिश्रम जो की पन्त जी ने चींटी का उदाहरण देकर मानव को लज्जावनत होने के लिए बाध्य कर दिया। चींटी का लघुतम जीवन परिश्रम से भरा हुआ जीवन है। वह बड़े से बड़े पर्वत को सरलता से लाँघ जाती है। शायद ही किसी ने चींटी को सोते हुए या आराम से बैठे हुए देखा हो। वह अनवरत श्रम करती है, इसलिए उसे अपना छोटापन अखरता नहीं। वह जीवन की समस्याओं को अपने श्रम से बड़ी सरलता से सुलझा लेती है। तो क्या मनुष्य संसार की कठिन-से-कठिन समस्याओं को, विभीषिकाओं को अपने श्रम से सरल नहीं बना सकता। यदि वह चाहे तो पर्वतों को काटकर सड़क निकाल सकता है, उन्मादिनी नदियों को बाँध कर पुल बना सकता है, कंटकाकीर्ण मार्गों को सुगम बना सकता है। ऐसा कौन सा कार्य है, जो परिश्रम साध्य नहीं हो।
भाग्य का सहारा वही लोग लेते हैं जो कर्महीन हैं । अत: हम सभी को परिश्रम के महत्व को स्वीकारना एवं समझना चाहिए तथा परिश्रम का मार्ग अपनाते हुए स्वयं का ही नहीं अपितु अपने देश और समाज के नाम को ऊँचाई पर ले जाना चाहिए ।
Hard Work मतलब कठोर परिश्रम जो की पन्त जी ने चींटी का उदाहरण देकर मानव को लज्जावनत होने के लिए बाध्य कर दिया। चींटी का लघुतम जीवन परिश्रम से भरा हुआ जीवन है। वह बड़े से बड़े पर्वत को सरलता से लाँघ जाती है। शायद ही किसी ने चींटी को सोते हुए या आराम से बैठे हुए देखा हो। वह अनवरत श्रम करती है, इसलिए उसे अपना छोटापन अखरता नहीं। वह जीवन की समस्याओं को अपने श्रम से बड़ी सरलता से सुलझा लेती है। तो क्या मनुष्य संसार की कठिन-से-कठिन समस्याओं को, विभीषिकाओं को अपने श्रम से सरल नहीं बना सकता। यदि वह चाहे तो पर्वतों को काटकर सड़क निकाल सकता है, उन्मादिनी नदियों को बाँध कर पुल बना सकता है, कंटकाकीर्ण मार्गों को सुगम बना सकता है। ऐसा कौन सा कार्य है, जो परिश्रम साध्य नहीं हो।
भाग्य का सहारा वही लोग लेते हैं जो कर्महीन हैं । अत: हम सभी को परिश्रम के महत्व को स्वीकारना एवं समझना चाहिए तथा परिश्रम का मार्ग अपनाते हुए स्वयं का ही नहीं अपितु अपने देश और समाज के नाम को ऊँचाई पर ले जाना चाहिए ।
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Hard Work मतलब कठोर परिश्रम जो की पन्त जी ने चींटी का उदाहरण देकर मानव को लज्जावनत होने के लिए बाध्य कर दिया। चींटी का लघुतम जीवन परिश्रम से भरा हुआ जीवन है। वह बड़े से बड़े पर्वत को सरलता से लाँघ जाती है। शायद ही किसी ने चींटी को सोते हुए या आराम से बैठे हुए देखा हो। वह अनवरत श्रम करती है, इसलिए उसे अपना छोटापन अखरता नहीं। वह जीवन की समस्याओं को अपने श्रम से बड़ी सरलता से सुलझा लेती है। तो क्या मनुष्य संसार की कठिन-से-कठिन समस्याओं को, विभीषिकाओं को अपने श्रम से सरल नहीं बना सकता। यदि वह चाहे तो पर्वतों को काटकर सड़क निकाल सकता है,
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