Hindi, asked by yogeshkukkar6218, 10 months ago

परिश्रम के विभिन्न रूप
प्रगति का मूल मंत्र जीवन में परिश्रम का योगदान

Answers

Answered by shishir303
11

                            प्रगति का मूल-मंत्र – परिश्रम

प्रगति का मूल मंत्र परिश्रम है, इस बात में कोई संशय नहीं होना चाहिए। जीवन में प्रगति बिना परिश्रम के बिल्कुल भी संभव नहीं है। हम अपने आसपास ऐसे अनेकों उदाहरण देखते हैं, ऐसे अनेक व्यक्तियों को पाते हैं, जिन्होंने जीवन में अच्छी सफलता प्राप्त की है, लेकिन अगर हम उन व्यक्तियों के इतिहास को उलट पलट कर देखें तो पाएंगे कि उन्हें वो अच्छी सफलता प्राप्त करने के लिए कठोर परिश्रम करना पड़ा, कड़ा संघर्ष करना पड़ा, तब जाकर उन्हें वह सफलता प्राप्त हो पाई।

प्रगति एक ऐसा पकवान है जिसे पकाने के लिए परिश्रम रूपी बर्तन की आवश्यकता पड़ती ही है, बिना उसके परिश्रम रूपी बर्तन के प्रगति रूपी पकवान नहीं पकाया जा सकता। प्रगति, विकास, सफलता कोई अपने-आप प्राप्त होने वाली वस्तु नहीं है, बल्कि इसे अपने कठोर परिश्रम से अथक प्रयत्न करके प्राप्त करना पड़ता है। इसलिए बिना परिश्रम के जीवन में प्रगति जरा भी संभव नहीं है। बैठे-बिठाए हमको कुछ नहीं मिलता। कुछ पाने के लिए हमें अपने आप अपने हाथ पैर हिलाने पड़ते हैं, प्रयत्न करना पड़ता है, यह सब परिश्रम ही है, इसलिए परिश्रम सफलता की प्रगति की कुंजी है, इस बात में कोई दो राय नहीं।

Answered by shailajavyas
4

Answer:

लक्ष्य की प्राप्ति हेतु परिश्रम करना प्रत्येक प्राणी के जीवन का आधार हैं | प्रगति के द्वार बिना परिश्रम के कदाचित भाग्यवश खुल भी जाए तो स्थायी कदापि नहीं हो सकते | वस्तुत : प्रगति में हम एक सुनियोजित ढंग से आगे बढ़ते है | प्रगति का मूलमंत्र परिश्रम ही हैं |

जीवन निर्वाह हेतु भी परिश्रम आवश्यक हैं | यह परिश्रम मोटे तौर पर दो प्रकार का होता हैं | एक शारीरिक तो दूसरा बौद्धिक| कुछ व्यवसाय ऐसे होते हैं जिनमें बौद्धिक श्रम आवश्यक होता हैं तो कुछ में शारीरिक श्रम |

                              बुद्धिजीवियों में राज-काज चलानेवाले मंत्री से लेकर क्लर्क, न्यायाधीश , वकील, डॉक्टर ,अध्यापक,व्यापारी आदि ऐसे वर्ग के लोग आते हैं जो कि अपना भरण -पोषण बुद्धि के द्वारा करते हैं |कुछ व्यवसाय ऐसे होते हैं जिनमें शारीरिक श्रम अनिवार्य होता हैं | इनमें किसान मजदूर,बढई, लुहार इत्यादि श्रमजीवी  वर्ग का समावेश होता हैं | समाज के अस्तित्व को बनाए  रखने के लिए बुद्धिजीवियों तथा शारीरिक श्रमजीवियों ,दोनों प्रकार के लोगों की जरूरत हैं  | जीवन में श्रम करने से  ही कार्यों की सिदधि होती हैं  अस्तु श्रम का प्रगति हेतु महत्वपूर्ण योगदान  है |

|

Similar questions