परिश्रम उन्नति का द्वार है। मनुष्य परिश्रम वेफ सहारे ही जंगली अवस्था से वर्तमान विकसित अवस्था तक पहुँचा
है। उसी वेफ सहारे उसने अन्न ,सड़फ बनाई। तकनीक का विकास किया पुल बाँध अवन मकान घर वस्त्रा,
जिसवेफ सहारे आज यह जगमगाती सभ्यता चल रही हैं। परिश्रम वेफवल शरीर की विफयाओं का ही नाम नहीं हैं।
मन तथा बुद्धि से किया गया परिश्रम भी परिश्रम कहलाता है। हर श्रम में बुद्धि तथा विवेक का पूरा योग रहता है।
परिश्रम करने वाला मनुष्य सदा सुखी रहता है। परिश्रमी व्यक्ति का जीवन स्वाभिमान से पूर्ण होता हैवह स्वयं
अपने भाग्य का निर्माता होता है। उसमें आत्मविश्वास होता है। परिश्रमी किसी भी संकट को बहादुरी से झेलता है-
तथा उससे संघर्ष करता है ।परिश्रम कामधेनु है जिससे मनुष्य की सब इच्छाएँ पूरी हो सकती हैं। मनुष्य को मरते
दम तक परिश्रम का साथ नहीं छोड़ना चाहिए। जो परिश्रम वेफ वक्त इन्कार करता हैवह जीवन में पिछड़ जाता
(1) वर्तमान विकसित अवस्था तक मनुष्य वैफसे पहुँचा?
(क) अन्न उपजाकर (ख) मन व बुद्धि के बल पर
(ग) परिश्रम कर
(घ) सुखों को भोग कर
(2) मन और बुद्धि द्वारा किया जाने वाला कार्य कहलाता है ?
(क) चतुरता
(ख) विश्राम
(घ) परिश्रम
(ग) विवेक
(3) परिश्रमी व्यक्ति वेफ गुण है?
(क) आत्मविश्वासी, स्वाभिमानी, संघर्षी एवं स्वयं का भाग्य-
निर्माता
(ख) स्वाभिमानी, संघर्षी, दयालु एवं चरित्रावान
(ग) स्वयं का भाग्य-निर्माता, आत्मविश्वासी एवं दयालु
(घ) चरित्रावान, आत्मविश्वासी, भाग्यवादी, सत्यवादी
(4) परिश्रम को 'कामधेनु' कहने का क्या आशय है ?
(क) सारी बाधओं को दूर करना (ख) सारी परिस्थितियों को बदलना
(ग) सारी इच्छाओं को दबाना (घ) सारी मनोकामनाओं को पूरा करना
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beta dubara bhejo samajh nhi aaya
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