परंतु वे स्वभाव से फक्कड़ थे। अच्छा हो या बुरा, खरा हो या खोटा, जिससे एक बार चिपट गए उससे जिंदगीभर चिपटे
रहो, यह सिध्दांत उन्हें मान्य नहीं था । वे सत्य के जिज्ञासु थे और कोई मोह-ममता उन्हें अपने मार्ग से विचलित नहीं कर सकती
थी । वे अपना घर जलाकर हाथ में मुराड़ा लेकर निकल पड़े थे और उसी को साथी बनाने को तैयार थे जो उनके हाथों अपना भी
घर जलवा सके-
हम घर जारा अपना, लिया मुराड़ा हाथ ।
अब घर जारों तासु का, जो चलै हमारे साथ ।
आकृति पूर्ण कीजिए।
1)कबीर ने अपना घर जला दिया, यानी क्या
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अबे अपना घर इसलिए जला दिया कि वह मुराडा को ही अपने साथी मानने लगे थे
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