Hindi, asked by rafiknagori3682, 6 months ago

परित्यक्त चीनी किले से जब हम चलने लगे, तो एक आदमी राहदारी मांगने आया हमने वह
दोनों चिटें उसे दे दी। शायद उसी दिन हम थोइला के पहले के आखिरी गाँव में पहुंच गए।
यहाँ भी सुमति के जान पहचान के आदमी थे और भिख मंगे रीते भी ठहरने अशी जगह
मिली। पांच साल बाद हम इसी रास्ते लौटे थे और भिखमंगे नहीं एक भद् यात्री के वेश में
घोड़ा पर सवार होकर आए थे, किंतु उस वक्त किसी ने हमें रहने के लिए जगह नहीं दी,
और हम गाँव के एक सबसे गरीब झोपड़े में ठहरे थे।​

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Answered by Anonymous
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दिए गए गद्यांश की संदर्भ सहित व्याख्या नीचे दी गई है।

संदर्भ - प्रस्तुत गद्य " लहासा की ओर " पाठ से लिया गया है। लेखक राहुल ने इन पंक्तियों में अपनी तिब्बत यात्रा का वर्णन किया है । लेखक 1929-30 में तिब्बत गए थे।

व्याख्या -

•लेखक जब तिब्बत गए उन दिनों भारतीयों को तिब्बत जाने की अनुमति नहीं थी , इस कारण लेखक एक भीखमंगे के वेश में गए। वे सुमति संग थे, सुमति की जान पहचान के गांव में रहने की जगह मिली। भीखमंगे वेश में होने के बाद भी उन्हें रहने के लिए अच्छी जगह मिली।

•पांच वर्ष बाद वे सज्जन इंसान के रूप में तिब्बत गए , परन्तु उस बार उन्हें रहने के लिए गांव की सबसे पुरानी तथा गरीब झोपड़ी दी गई।

• उन दिनों भिखमंगो पर लोगों को दया आती थी परन्तु चोर, लुटेरों से डर लगता था। इस कारण अजनबियों से भी डर लगता था।

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