Hindi, asked by charansingh99163, 2 months ago

पराधीन को सुख नाही पर अनुच्छेद इन हिंदी 80 से 100 शब्दों में​

Answers

Answered by vanshikaw04
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Answer:

पराधीन सपनेहुँ सुख नाहीं – इस उक्ति का अर्थ होता है कि पराधीन व्यक्ति कभी भी सुख को अनुभव नहीं कर सकता है। सुख पराधीन और परावलंबी लोगों के लिए नहीं बना है। पराधीन एक तरह का अभिशाप होता है। मनुष्य तो बहुत ही दूर है पशु-पक्षी भी पराधीनता में छटपटाने लगते हैं।

पराधीन व्यक्ति के साथ हमेशा शोषण किया जाता है। पराधीनता की कहानी किसी भी देश, जाति या व्यक्ति की हो वह दुःख की कहानी होती है। पराधीन व्यक्ति का स्वामी जैसा व्यवहार चाहे वैसा व्यवहार उसके साथ कर सकता है।

पराधीन व्यक्ति कभी भी अपने आत्म-सम्मान को सुरक्षित नहीं रख पाते हैं। जिस सुख को स्वतंत्र व्यक्ति अनुभव करता है उस सुख को पराधीन व्यक्ति कभी भी नहीं कर सकता। हितोपदेश में भी कहा गया है कि पराधीन व्यक्ति एक मृत के समान होता है।

Answered by deveshkumar9563
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Explanation:

तुलसीदास का कहना है कि जो व्यक्ति स्वाधीन नहीं होता है उसे स्वजनों से कभी भी सुख नहीं मिलता है। हमे जीवन में स्वाधीन होना चाहिए। एक मनुष्य के लिए पराधीनता अभिशाप की तरह होता है। जो व्यक्ति पराधीन होते हैं वे सपने में भी कभी सुखों का अहसास नहीं कर सकते हैं।

जब व्यक्ति के पास सभी भोग-विलासों और भौतिक सुखों के होने के बाद भी अगर वो स्वतंत्र नहीं है तो उस व्यक्ति के लिए ये सब व्यर्थ होता है। पराधीनता एक मनुष्य के लिए बहुत ही कष्टदायक होती है। इस संसार में पराधीनता को पाप माना गया है और स्वाधीनता को पुण्य माना गया है।

पराधीन व्यक्ति किसी मृत की तरह होती है। पराधीनता के लिए कुछ लोग भगवान को दोष देते हैं लेकिन ऐसा नहीं है वे स्वंय तो अक्षम होते हैं और भगवान को दोष देते रहते हैं भगवान केवल उन्हीं का साथ देता है जो अपनी मदद खुद कर सकते हैं।

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