Hindi, asked by MissPunjban, 5 months ago

पराधीन सपनेहुँ सुख नाहीं विषय पर लगभग 80 से 100 शब्दो में अनुच्छेद लिखिए।​

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वास्तव में समस्त प्राणी जगत् के लिए पराधीनता एक अभिशाप है। पराधीनता का अर्थ है-'दूसरों की अधीनता, मनुष्य पराधीनहोकर सपने में भी सुख नहीं प्राप्त कर सकता। पराधीन होकर जीना अर्थात् दूसरों का गुलाम होना, दूसरों की इच्छानुसार जीना, मन मारकर दूसरों के इशारों पर चलना आदि। -पक्षी भी पसन्द नहीं करते। सोने के पिंजरे में बन्द पक्षी भी स्वतंत्र आकाश में उड़ना चाहता है, उड़ने के लिए छटपटाता है। वह कड़वी निबौरी खाना पसन्द करेगा, समुद्र का बहता खारा पानी पी लेगा, पर आजादी से जीना चाहता है, वह भी पंख पसार कर नीलगगन में उड़ान भरना चाहता है। पराधीनता में व्यक्ति अपने मान-सम्मान को सुरक्षित नहीं रख सकता, क्योंकि वह पराधीनता की चक्की में पिसता रहता है तथा शोषित होता रहता है। निर्धनता तथा अभावों से ग्रस्त जीवन में भी स्वतन्त्र होकर जीने में मनुष्य आनन्द तथा प्रसन्नता का अनुभव करता है। संभवतः इसी कारण गोस्वामी तुलसीदास ने अपने महाकाव्य रामचरितमानस में लिखा है-पराधीन सपनेहुँ सुख नाहीं।

Answered by Anonymous
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श्रीमान प्रबंधक महोदय,

बंदा बहादुर मार्ग डिपो,

हकीकत नगर, दिल्ली।

01 मार्च, 2019

विषय- नई बस सेवा शुरू करने के संबंध में

महोदय,

विनम्र निवेदन यह है मैं पालम कॉलोनी निकट राज नगर का निवासी हूँ। यह क्षेत्र आउटर रोड से डेढ़-दो किलोमीटर की दूरी पर है। यहाँ से निकटतम बस स्टैंड भी इतनी ही दूर है। इस दूरी का नाजायज़ फायदा रिक्शावाले, फटफट सेवावाले तथा आटोवाले उठाते हैं। यहाँ प्रातःकाल तथा सायं सवारी के लिए विशेष परेशानी होती है। स्कूल जाने वाले बच्चों को तो बहुत कठिनाई होती है। हमें विशेष कठिनाई तब होती है जब आकस्मिक बीमारी की हालत में हमारी मज़बूरी का फायदा अन्य लोग उठाते हैं।

आपसे प्रार्थना है कि आप हज़ारो व्यक्तियों के हित को ध्यान में रखते हुए पालम कॉलोनी से बस अड्डा होते हुए केंद्रीय सचिवालय तक के लिए नई बस सेवा आरंभ करने की कृपा करें ताकि यहाँ के निवासियों एवं कर्मचारियों का समय, श्रम तथा धन बच सके। हम क्षेत्रवाले आपके आभारी होंगे।

धन्यवाद सहित।

भवदीय अमरपाल,

B-275/3,

पालम कॉलोनी, दिल्ली।

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