पराधीनता मनुष्य को, विशेष रूप से युवा पीढ़ी को दिशाहीन बनाती है।
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पराधीनता मनुष्य को, विशेष रूप से युवा पीढ़ी को दिशाहीन बनाती है। छोटी-छोटी सुविधाओं तथा खुशियों के लिए मनुष्य अपनी स्वतंत्रता दूसरों को सौंप देता है, जो गलत है। अपने अस्तित्व और स्वाभिमान को सुरक्षित रखने के लिए परिश्रम और संघर्ष को अपनाना चाहिए
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पराधीनता मनुष्य को, विशेष रूप से युवा पीढ़ी को दिशाहीन बनाती है। छोटी-छोटी सुविधाओं तथा खुशियों के लिए मनुष्य अपनी स्वतंत्रता दूसरों को सौंप देता है, जो गलत है। अपने अस्तित्व और स्वाभिमान को सुरक्षित रखने के लिए परिश्रम और संघर्ष को अपनाना चाहिए।
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