"परिवार ही हमारी संस्कारशाला है।" विषय पर nibandh
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परिवार ही हमारी संस्कारशाला है।" विषय पर निबंध
परिवार एक बहुत प्यारा शब्द है और इसकी अहमियत भी बहुत ऊँची है| परिवार का अर्थ है, व्यक्तियों का वह समूह होता है, जो विवाह और रक्त सम्बन्धों से जुड़ा होता है जिसमें बच्चों का पालन पोषण होता है। परिवार से हम बहुत कुछ सीखते है|| हमारे संस्कार हमारी परवरिश एक परिवार ही सिखाता है|
परिवार ही हमारी संस्कारशाला है। परिवार ही सबकी प्रथम पाठशाला है। सबका प्रथम पाठ माँ के आंचल और पिता के प्यार से ही शुरू होता है। परिवार से हमें सारे गुण मिलते है| नैतिकता , संस्कार , हमारा व्यवहार सब हमारे परिवार से हमारे अंदर आता है | बाल्यावस्था ही से बालक की गतिविधियों, वृत्तियों और आदतों का आकलन करते हुए उसे सही दिशा में अग्रसर करना माता पिता और परिवार का उत्तरदायित्व है।
छोटे से बड़े होने तक परिवार ही हमें हम सब कुछ सिखाता है| परिवार में हम सबसे अलग-अलग बाते सीखते है | परिवार में बहुत सारे लोग होते है जो हमें अपने हिसाब से संस्कार सिखाते है | दादा-दादी , दीदी , भिया , चाचा , बुआ आदि |
परिवार में माता-पिता हमारे जीवन के सबसे पहले शिक्षक होते हम उनसे बहुत कुछ सीखते है | हमें अपने माता-पिता की सिखाई हुए रास्ते पर चलना चाहिए | माता-पिता की तरह जीवन में मुसीबतों से लड़ने की ताकत ले कर आगे बढ़ना चाहिए | माता-पिता के द्वारा सिखाए हुए संस्कार का हमेशा पालन करना चाहिए| माता-पिता की हर बात माननी चाहिए क्योंकि वह हमें कभी भी गलत रास्ता नहीं दिखाते है |