परिवेश एवं संगति किस प्रकार बच्चों के चारित्रिक विकास में बाधक एवं साधक है?’ माता का आंचल’ पाठ के आधार पर अपने विचार प्रस्तुत कीजिए।
(Class 10 Hindi A Sample Question Paper)
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बच्चों का मन बहुत कोमल और कच्चा होता है। बच्चे जिस माहौल में रहते हैं उसी में ढल जाते हैं। उन्हें सही गलत की पहचान नहीं होती। सही माहौल और सही संगति चरित्र को उज्जवल बनाते हैं और बच्चों को सही मार्ग पर चलने की सीख देते हैं। माता पिता को इसका विशेष ध्यान रखना चाहिए।
दूसरी तरफ गलत माहौल एवं गलत संगति अच्छे बालक को भी बुरा बना देते हैं। प्रस्तुत पाठ में भी भोलानाथ जैसा भोला-भाला तथा मासूम बच्चा भी अपने ढीठ मित्रों की संगत में कभी शिक्षकों को चिढ़ाता ,तो कभी जीव जंतुओं को सताता है। इस प्रकार वह गलत संगति में पड़कर बुरी आदतों का शिकार हो जाता है। अतः परिवेश और संगति बच्चों के चारित्रिक विकास में बाधक भी है और साधक भी है।
दूसरी तरफ गलत माहौल एवं गलत संगति अच्छे बालक को भी बुरा बना देते हैं। प्रस्तुत पाठ में भी भोलानाथ जैसा भोला-भाला तथा मासूम बच्चा भी अपने ढीठ मित्रों की संगत में कभी शिक्षकों को चिढ़ाता ,तो कभी जीव जंतुओं को सताता है। इस प्रकार वह गलत संगति में पड़कर बुरी आदतों का शिकार हो जाता है। अतः परिवेश और संगति बच्चों के चारित्रिक विकास में बाधक भी है और साधक भी है।
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बालमन बहुत कच्चा तथा कोमल होता है। बच्चे जिस परिवेश में रहते हैं, उसी में ढल जाते हैं। सही परिवेश और सही संगति चरित्र को उज्जवल / अच्छा बनाते हैं। दूसरी ओर गलत परिवेश एवं गलत संगति अच्छे बालक को भी बुरा बना देते हैं। प्रस्तुत पाठ में भोलानाथ जैसा भोला-भाला तथा मासूम बच्चा है। लेकिन मित्रों की संगत में कभी शिक्षकों को चिढ़ाता है, तो कभी जीव-जंतुओं को सताता है। इस प्रकार वह गलत संगति में पड़कर बुराई का शिकार हो जाता है। अतः परिवेश और संगति बच्चों के चारित्रिक विकास में बाधक भी है और सार्थक भी।
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