परिवर्तन ही सृष्टि का नियम है इस संदर्भ में अपना मत 25 से 30 शब्दों में व्यक्त कीजिए
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परिवर्तन ही सृष्टि का नियम है या हम यों कहें कि सृष्टि ही परिवर्तनशील है। ... सो हम कह सकते हैं कि सृष्टि में निरंतर परिवर्तन आते रहे हैं और आते रहेंगे । एक समय ये सब विलीन हो जाएगा।। और सृष्टि का पुनः निर्माण होगा।
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परिवर्तन इस सृष्टि का शाश्वत नियम है। इसी नियम के कारण सृष्टि चल रही है। यहाँ कुछ भी स्थायी नहीं है। प्रातःकाल से संध्या तक हम नित्य कई परिवर्तन देखते हैं। इसी प्रकार प्रतिवर्ष एक के बाद दूसरी ऋतु का आना इसी परिवर्तन का द्योतक है। जेठ की तपती दुरहरियों के बाद वर्षा का आगमन ऐसा लगता है मानो नवजीवन की प्राप्ति हुई हो। पतझड़ के बाद वसंत की बहार कुछ अधिक ही अच्छी लगती है। यदि पतझड़ न होता, तो वसंत का भी ऐसा महत्त्व न होता। देखा जाए तो विकास के मूल में परिवर्तन ही है। यदि पुराने सिद्धांतों के स्थान पर नए नियम, नए सिद्धांत न आते, तो मानव समाज इतनी उन्नति न कर पाता, जहाँ आज हम हैं |
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