Economy, asked by ajayrathuar4240, 11 months ago

परिवर्तनशील अनुपातों के नियम का विस्तार से वर्णन कीजिए अथवा
पूर्ति को समझाइए तथा पूर्ति को प्रभावित करने वाले तत्वों का वर्णन कीजिए।

Answers

Answered by Anonymous
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Explanation:

परिवर्तनीय अनुपात का नियम' अर्थशास्त्र का बुनियादी, महत्वपूर्ण और व्यापक नियम है । नियम इस व्यावहारिक सत्य पर आधारित है कि व्यवहार में उत्पत्ति के कुछ साधनों की मात्रा इच्छानुसार घटाई-बढ़ाई नहीं जा सकती। अतः नियम इस अतिरिक्त उत्पादन-मात्रा की ओर संकेत करता है जो कुछ साधनों की मात्रा स्थिर रखते हुए (परिवर्तनशील) साधन की मात्रा बढ़ाने से प्राप्त होता है । परिवर्तनीय अनुपात के नियम को 'आनुपातिकता का नियम' भी कहा जाता है; क्योंकि यह बताता हैं कि साधनों का अनुपात बढ़ाने का उत्पादन-मात्रा पर क्या प्रभाव पड़ता है। इस नियम को ‘प्रतिफल का नियम' भी कहा जाता है, क्योंकि यह बताता है कि जब कुछ

Answered by sk6528337
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पूर्ति तथा पूर्ति को प्रभावित करने वाले तत्वों

Explanation:

पूर्ति से हमारा अभिप्राय वस्तु की उस मात्रा से है, जिसे उत्पादक एवं विक्रेता किसी निश्चित कीमत पर तथा निश्चित समय पर बेचना चाहता हो।

पूर्ति को प्रभावित करने वाले तत्व:

1. कीमत

अन्य बाते समान रहने पर जब किसी वस्तु की कीमत बढ़ती है तो पूर्ति भी बढ़ जाती है, कीमत घटती है तो वस्तु की पूर्ति कम हो जाती है। इसे पूर्ति का नियम भी कहा जाता है।

2. उत्पादन के साधन की कीमत

जब उत्पादन के साधनों की कीमत कम होती है तो लाभ बढ़ जाता है इस कारण पूर्ति भी बढ़ जाती है। तथा जब उत्पादन के साधनों की कीमत बढ़ जाती है तो लाभ कम होने के कारण पूर्ति भी कम हो जाती है।

3. उत्पादन की तकनीक

जब उत्पादन में आधुनिक तकनीक इस्तेमाल होती है। तब वस्तु की पूर्ति उत्पादक बढ़ा देते हैं जब उत्पादन में प्राचीन या पुरानी तकनीक इस्तेमाल होती है तो उत्पादक कम पूर्ति कर पाते हैं।

4. फ़ार्म की संख्या

जब किसी वस्तु के उत्पादन करने वाली फर्म की संख्या बढ़ जाती है तो तो उसकी पूर्ति भी बढ़ जाती है तथा जब किसी वस्तु के उत्पादन करने वाली फर्म की संख्या घट जाती है तो उसकी पूर्ति भी कम हो जाती है।

5. भविष्य की कीमत

जब किसी वस्तु की कीमत भविष्य में बढ़ने वाली होती है तो विक्रेता उस वस्तु को स्टॉक कर लेते है, जिससे उस वस्तु की पूर्ति काम हो जाती है। तथा जब किसी वस्तु की कीमत भविष्य में कम होने वाली होती है, तो विक्रेता उस वस्तु के स्टॉक को बेचना शुरू कर देते हैं, जिससे बाजार में उस वस्तु की पूर्ति बढ़ जाती है।

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