पर्वत कहता शीश उठाकर तुम भी ऊंचे बन जाओ ना तो क्या आता है फेल कर तुम भी मन में गहराई लाओ पृथ्वी कहती धरना छोड़ो कितना भी हो सिर पर भार लग जाता है फेलो इतना ढक लो तुम सारा संसार क्या कहते हो गिर गिर उठ उठ तेरा दिमाग भर लो अपने मन में मीठी मीठी मृदुल उमंग
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