पर्वत कहता शीश उठाकर,
तुम भी ऊँचे बन जाओ।
सागर कहता है लहराकर,
मन में गहराई लाओ।
समझ रहे हो क्या कहती है,
उठ-उठ गिरकर तरल तरंग ।
भर लो, भर लो अपने मन में,
मीठे-मीठे मृदुल उमंग।
प्रश्र:
अ) शीश उठाकर जी ने को कौन कहता है ?
आ) मन में गहराईलाने के लिए कौन कहता है ?
इ) तरल तरंग हमसे क्या कहती है ?
ई) शीश शब्द का अर्थ क्या है ?
उ) उपर्युक्त पध्यांश किससे ली गयी है ?
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