पर्वत प्रदेश में पावस कविता के कवि कौन है
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पल-पल परिवर्तित प्रकृति-वेश। दर्पण सा फैला है विशाल! झरते हैं झाग भरे निर्झर! ... पर्वत प्रदेश में पावस भावार्थ : सुमित्रानंदन पंत की कविता “पर्वत प्रदेश में पावस” की प्रस्तुत पंक्तियों में कवि सुमित्रानंदन पंत जी ने वर्षा ऋतु का वर्णन करते हुए, पर्वतों के ऊपर प्रकृति में पल-पल हो रहे बदलाव के बारे में बताया है।
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I DON'T NO...................
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