पर्वत प्रदेश में पावस नामक
कविता में वर्षा ऋतु में होने
वाले प्राकृतिक परिवर्तन के
बारे में बताया गया है |आप अपने
यहाँ वर्षा ऋतु में होने वाले
प्राकृतिक परिवर्तन के विषय में
जानकारी प्राप्त कर उसे लेख के
रूप में लिखिए।
Answers
Answer:
वर्षा (Rainfall) एक प्रकार का संघनन है। पृथ्वी के सतह से पानी वाष्पित होकर ऊपर उठता हैऔर ठण्डा होकर पानी की बूंदों के रूप में पुनः धरती पर गिरता है। इसे वर्षा कहते हैं।
वर्षा
वर्षा के प्रकार:
संवहनीय वर्षा
पर्वत कृत वर्षा
चक्रवाती वर्षा
वायु में मिला जलवाष्प शीतल पदार्थों के संपर्क में आने से संघनन (condensation) के कारण ओसांक तक पहुंचता है। जब वायु का ताप ओसांक से नीचे गिर जाता है, तब जलवाष्प पानी की बूँदों अथवा ओलों के रूप में धरातल पर गिरने लगता है। इसी को वर्षा कहते हैं। किसी भी स्थान पर किसी निश्चित समय में बरसे हुए जलकणों तथा हिमकणों से प्राप्त जल की मात्रा को वहाँ की वर्षा का माप कहते हैं।
विश्व के विभिन्न भागों में मासवार औसत वर्षा की मात्रा
गरमी के कारण उत्पन्न जलवाष्प ऊपर आकाश में जाकर फैलता है एवं ठंडा होता है। अत: जैसे जैसे वायु ऊपर उठती है, उसमें जलवाष्प धारण करने की क्षमता कम होती जाती है। यहाँ तक कि अधिक ऊपर उठने से वायु का ताप उस अंक तक पहुंच जाता है, जहाँ वायु जलवाष्प धारण कर सकती है। इससे भी कम ताप हो जाने पर, जलवाष्प जलकणों में परिवर्तित हो जाता है। इसी से बादलों का निर्माण होता है। फिर बादल जल के कारण धरातल पर बरस पड़ते हैं। जलकण बनने के उपरांत भी यदि वायु का ताप कम होते होते हिमांक से भी कम हो जाता है, तो जलकण हिमकणों का रूप धारण कर लेते हैं जिससे हिमवर्षा होती है। वर्षा के लिए दो बातें आवश्यक हैं :
(१) हवा में पर्याप्त मात्रा में जलवाष्प का होना, तथा
(२) वाष्प से भरी हवाओं का शीतल पदार्थों के संपर्क में आने से ठंडा होना और ओसांक तक varsha ka ye
Explanation:
वसंत ऋतु का है
वसंत उत्तर भारत तथा समीपवर्ती देशों की छह ऋतुओं[क] में से एक ऋतु है, जो फरवरी मार्च और अप्रैल के मध्य इस क्षेत्र में अपना सौंदर्य बिखेरती है। ऐसा माना गया है कि माघ महीने की शुक्ल पंचमी से वसंत ऋतु का आरंभ होता है।[1] फाल्गुन और चैत्र मास वसंत ऋतु के माने गए हैं। फाल्गुन वर्ष का अंतिम मास है और चैत्र पहला। इस प्रकार हिंदू पंचांग के वर्ष का अंत और प्रारंभ वसंत में ही होता है। इस ऋतु के आने पर सर्दी कम हो जाती है, मौसम सुहावना हो जाता है, पेड़ों में नए पत्ते आने लगते हैं, आम के पेड़ बौरों से लद जाते हैं और खेत सरसों के फूलों से भरे पीले दिखाई देते हैं I अतः राग रंग और उत्सव मनाने के लिए यह ऋतु सर्वश्रेष्ठ मानी गई है[2] और इसे ऋतुराज कहा गया है।[3]
वसन्त ऋतु वर्ष की एक ऋतु है जिसमें वातावरण का तापमान प्रायः सुखद रहता है। भारत में यह फरवरी से मार्च तक होती है। अन्य देशों में यह अलग समयों पर हो सकती है। इस ऋतु की विशेष्ता है मौसम का गरम होना, फूलो का खिलना, पौधो का हरा भरा होना और बर्फ का पिघलना। भारत का एक मुख्य त्योहार है होली जो वसन्त ऋतु में मनाया जाता है। यह एक सन्तुलित (Temperate) मौसम है। इस मौसम में चारो ओर हरियलि होति है। पेडो पर नये पत्ते उग्ते है। इस रितु मैं कइ लोग उद्यनो तालाबो आदि मैं घुम्ने जाते है।
वसंत के रागरंग
'पौराणिक कथाओं के अनुसार वसंत को कामदेव का पुत्र कहा गया है। कवि देव ने वसंत ऋतु का वर्णन करते हुए कहा है कि रूप व सौंदर्य के देवता कामदेव के घर पुत्रोत्पत्ति का समाचार पाते ही प्रकृति झूम उठती है, पेड़ उसके लिए नव पल्लव का पालना डालते है, फूल वस्त्र पहनाते हैं पवन झुलाती है और कोयल उसे गीत सुनाकर बहलाती है।[ख] भगवान कृष्ण ने गीता में कहा है ऋतुओं में मैं वसंत हूँ।[ग]
वसंत ऋतु में वसंत पंचमी, शिवरात्रि तथा होली नामक पर्व मनाए जाते हैं। भारतीय संगीत साहित्य और कला में इसे महत्वपूर्ण स्थान है। संगीत में एक विशेष राग वसंत के नाम पर बनाया गया है जिसे राग बसंत कहते हैं। वसंत राग पर चित्र भी बनाए गए हैं।