पर्वतारोहण पर्वतीय प्रदेशों की दिनचर्या है, वही दिनचर्या आज जीविका का माध्यम बन गई है। उसके गुण - दोष का विवेचन कीजिए।
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पर्वतारोहण पर्वतीय प्रदेशों की दिनचर्या है, वही दिनचर्या आज जीविका का माध्यम बन गई है।
पर्वतीय प्रदेशों में रहने वाले लोगों को सामान लाने-ले-जाने के लिए चढ़ाई चढ़नी पड़ती है। बस पकड़ना, बाज़ार से सामान लाना, जानवरों को चराना, जंगलों से पत्ते लाना, चिकित्सक के पास जाना, स्कूल जाना, खेतों में जाना इत्यादि करने के लिए उन्हें दिन में कई-कई बार चढ़ाई-उतराई करनी पड़ती है। क्योंकि वहाँ के रास्ते ऐसे जहाँ पर वाहन नहीं जा सकते| इसलिए लोगों को खुद ही सामान लाना पढ़ता है|
यह उनकी दिनचर्या का भाग है।आज यह पर्वतारोहण जीविका का साधन बन गई है। इसके यदि कुछ गुण हैं, तो दोष भी हैं।
वह इस प्रकार हैं-
गुण-
(क) लोगों को जीविका के लिए अन्य स्थान में नहीं जाना पड़ता है। इससे उनका खर्चा निकल आता है।
(ख) इसके लिए उन्होंने किसी प्रकार का कोर्स करने की आवश्यकता नहीं है।
(ग) इसमें खर्चा भी नहीं आता है और उनकी सेहत भी ठीक रहती है|
(घ) वह अपना सामान खुद लेकर आते है , किसी पर निर्भर नहीं होते है|
दोष-
(क) लोगों को अधिक लाभ नहीं मिलता है, लेकिन कभी बहुत कमाई हो जाती है और कभी कुछ भी प्राप्त नहीं होता है।
(ख) जीविका का यह साधन होने के कारण लोग अपनी पढ़ाई पर ध्यान नहीं देते हैं और छोटी उम्र में ही काम पर लग जाते हैं।
(ग) खर्चा न आने के कारण लोग छोटे बच्चों को भी काम पर लगा देते हैं।
(घ) अशिक्षित और गरीब ही रहते हैं।