पर्वतीय क्षेत्र में होने वाली व्यावसायिक प्रगति या विकास का प्रकृति वातवरन पर क्या दुष्प्रभव पड़ा है इस दुशप्रभा को रोकने के लिए एक सहज नागरिक के रूप में आपकी क्या भूमिका हो सकती है?
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प्रवास पर्वतीय क्षेत्र की भयंकर त्रासदी बन चुका है और यह यहाँ के लिये कोई नवीन घटना नहीं है। इस क्षेत्र में जीवन निर्वाह सम्बन्धी आवश्यक सुविधाएँ विशेष रूप से रोजगार के अवसर नगण्य होने के कारण वाह्य प्रवास अधिक मात्रा में होता है। पहले जहाँ प्रवास एकांकी प्रवृत्ति का था अब यह सामूहिक रूप ले चुका है परिणामस्वरूप पर्वतीय ग्राम धीरे-धीरे खाली हो रहे हैं। प्रवास की समस्या अब पर्वतीय ग्रामों की सबसे बड़ी समस्या बनकर उभरी है। 1984 में डा. रावत द्वारा जनपद गढ़वाल में कुल जनसंख्या का 40 प्रतिशत तथा पुरुष जनसंख्या का 67 प्रतिशत भाग प्रवासित पाया गया था। वर्तमान सर्वेक्षण 1991-92 में जनपद गढ़वाल के सर्वेक्षित विकास खण्डों के ग्रामों की कुल जनसंख्या का 38.51 प्रतिशत भाग प्रवासित पाया गया है, जिसमें पुरुष एवं स्त्री जनसंख्या का क्रमशः 50.27 एवं 27.09 प्रतिशत भाग प्रवासित है। विगत वर्षों में यहाँ विकास कार्यक्रमों के क्रियान्वित होने के कारण प्रवास की दर में कमी आयी है। परन्तु पारिवारिक प्रवासिता बढ़ी है। पहले प्रवास जहाँ एकांकी प्रकृति का था आज पारिवारिक स्वरूप ले चुका है। सर्वेक्षण से ज्ञात होता है कि 1981-91 के दशक में 13.20 प्रतिशत परिवार प्रवासित हुए हैं। इस प्रकार जो परिवार पूर्णतः ग्रामों से प्रवासित हो चुके हैं उनकी जनसंख्या उपलब्ध न होने के कारण प्रवासित जनसंख्या में उनकी जनसंख्या को सम्मिलित नहीं किया गया है।