पर्वतीय स्थानों का सौंदर्य 1500 शब्दों का निबंध
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नीला आसमान नीचे धरती बीच में सागर लहरों की उत्ताल हिलोरें कभी उगता सूरज तो कभी डूबता सूरज -दूर में पहिली पर्वत श्रेणियां ,एक कड़ियों की तरह एक दुसरे को जोडती हुई एक सुखद मिलन का अहसास दिलाती है I धरती के लिए पर्वत सुन्दरता का वो प्रतिबिम्ब है जैसे किसी सुंदरी ने अपने घने काले बालों के जुड़े बना लिए हों और उन जुड़ों पर कई रंगों की कई वेनियाँ लगायी हो I कहीं चट्टान पर बैठे नए जोड़े और कहीं समतल चट्टानों पर खेलते किलकारी मारते छोटे बच्चे I धरती माता की गोद की तरह लगती है I और पर्वतीय स्थल बच्चों के पालक पिता की तरह I आश्चर्य इस बात का होता है जब संसार में कहीं कोई नहीं था इतो प्रकृति ने खुद सौंदर्य की एक तुलिका उठाई और पूरी धरती को सुन्दरता से भर दिया I पहाड़ों से निकलते झरने जहर जहर कर गीत गाते स्वर ये सुदरता तो पहले से विद्यमान थी I कितनी बड़ी कला मनुष्यों के हाथ में आ जाये I लेकिन जो पहले से प्रकृति में कला मौजूद है उसके आगे कोई कला नहीं Iझरना जीवन का प्रतीक है I जब वो पत्थर को फोड़ कर निकल सकता है तो सोचना चाहिए कि इन पर्वतों में भी वही ह्रदय है जो हमारे अन्दर है I वो भी टूटता है फूटता है और आंसू बन कर निकल जाता है फिर भी जीता है गतिशील रहता है I और निरंतर गीत गाता रहता है I
" जीवन कहता है बढे चलो ,देखो मत पीछे मुड़कर ,
निर्झर कहता है रुको नहीं ,सोचो मत होगा क्या आगे चलकर II