परियोजना कार्य - रवींद्रनाथ ठाकुर की 'गीतांजलि' को पुस्तकालय से लेकर पढ़िए।
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गीतांजलि'
‘गीतांजलि’ गुरूदेव रवीन्द्रनाथ टैगोर (1861-1941) की सर्वाधिक प्रशंसित और पठित पुस्तक है। इसी प्रकार उन्हें 1910 में विश्व प्रसिद्ध नोबेल पुरस्कार भी मिला ।
गीतांजलि बंगाली कवि रवींद्रनाथ टैगोर की कविताओं का संग्रह है। टैगोर को बड़े पैमाने पर पुस्तक के लिए, साहित्य के लिए नोबेल पुरस्कार मिला। यह प्रतिनिधि वर्क्स के यूनेस्को संग्रह का हिस्सा है। इसका केंद्रीय विषय भक्ति और आदर्श वाक्य है 'मैं यहाँ हूँ तुम गीत गाने के लिए'। गीतांजलि के स्वर में सिर्फ रहस्यवाद है। इसमें मध्ययुगीन कवियों का निपटारा भी है।
गीतांजलि एक "गीत-उपहार" एक किताब या प्रेम, दर्शन, प्रकृति और अध्यात्म का एक मिलाजुला अनुभव या एक अतृप्त अनुभूति है, एक तलाश और एक छटपटाहट खुद में डूब जाने की, या वह प्रकृति के रंगों को आत्मसात कर उस अनुभव को अभिव्यक्त करने की विलक्षणता है. एक गतिशील विचार. एक अपनी ही तरह का प्रवाह. गीतांजलि असल में एक ओर आत्मा, ईश्वर और प्रेम की तलाश में डोलती एक करुण पुकार है तो दूसरी ओर वह मानवीय गरिमा, जिजीविषा, उत्थान और सरोकार का निर्भीक और स्पष्ट आह्वान भी. इसलिए वो जितना खुद को संबोधित है उतना ही अखिल विश्व, अखिल समाज को भी. इसकी एक मिसाल कुछ इस तरह से है |