परियों की कहानी पर निबंध
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कांगो नदी के निकट कुछ गाँव थे. वहीं एंडीमियन नाम का गडरिया रहता था. वह गरीब किसानों की मदद करता था. गाँव वाले उसे बहुत मानते थे. वह देवलोक मे भी प्रसिध्द हो गया था. धीरे-धीरे देवताओं मे उसके प्रति ईष्या जाग उठी. वे कहते ‘एंडीमियन’ कभी भी देवता नही बन सकता. पर देवलोक मे रहने वाली नारियाँ उसे देवता की तरह मानती थीं. एक दिन उन्होने देवताओ से कहा- “एंडीमियन को देवता बनने से कोई नहीं रोक सकता”.
“ हम एंडीमियन को एक ऐसी जडी सुघा देंगे जिससे वह काफी दिनो के लिए बेहोश हो जाएगा.” – देवताओ ने कहा.
फिर उन्होने मिलकर एंडीमियन के खिलाफ साजिश रची.
एक देवता मौका मिलते ही जंगल में जा पहुँचा ! एक जगह एंडीमियन आराम कर रहा था. देवता ने उसे बेहोशी की जडी सुघा दी. वह बेहोश हो गया. देवता चला गया. तभी उधर से गाँव वाले गुजरे. उन्होने एंडीमियन को देखा तो चौंके उन्होने एंडीमियन को हिलाया-डुलाया, पर उसने कोई हरकत नही की. वे उसे मरा जान, वहीं छोड गए.
एक दिन उधर से डायना परी निकली ! उसने रास्ते मे एंडीमियन को बेहोशी की हालत मे देखा. परी ने भी उसके बारे मे बहुत कुछ सुना था. तभी कुछ पक्षियों ने उसे घेर लिया.
उन्होने परी से कहा- “ आप इसे जीवित कर दें !” डायना ने उनका कहा मान.
अपना हाथ एंडीमियन के माथे पर रख दिया. सहसा वह उठ बैठा. उसने परी को धन्यवाद दिया और घर की ओर चल दिया.
एंडीमियन घर पहुँच, तो पूरे गाँव मे खुशी की लहर दौड गई.
अब वह पहले से भी अधिक परोपकार करने लगा.
यह खबर डायना को लगी. उसने सोचा-“ अब मुझे एंडीमियन को देवता बनाने मे देर नही करनी चाहिए !”
यह सोच डायना परी उसके पास आई. उसने एंडीमयन को अमृत की दो बूदें पिला दी. वह अमर हो गया.