Geography, asked by nehaparveen9015, 9 months ago

पर्यावरण अध्ययन के बहुआयामी स्वरूप से आप क्या समझते हैं । विभिन्न पर्यावरणीय समस्याओं को हल करने में बहु - विषयक दृष्टिकोण कैसे सहायक है ? विस्तार से व्याख्या कीजिये

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Answered by Anonymous
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Answer:

पर्यारण शिक्षा (EE), यह सिखाने के सुनियोजित प्रयास की ओर संकेत करती है कि किस प्रकार मनुष्य चिरस्थायी अस्तित्व के लिए स्वाभाविक वातावरण की क्रियाओं और, विशेषतः अपने व्यवहार और पारिस्थितिक तंत्र में सामंजस्य स्थापित कर सकता है। इस शब्द का प्रयोग प्रायः विद्यालय प्रणाली के अंतर्गत, प्राथमिक से लेकर माध्यमिक शिक्षा के बाद तक दी जाने वाली शिक्षा की ओर संकेत करने के लिए किया जाता है। हालांकि, कभी कभी अधिक व्यापक रूप में इसका प्रयोग आम जनता और अन्य दर्शकों को शिक्षित करने के समस्त प्रयासों के लिए किया जाता है, जिसमे मुद्रित सामग्री, वेबसाइट्स, मीडिया अभियान आदि शामिल होते हैं। इससे सम्बंधित क्षेत्रों में बाह्य शिक्षा और अनुभवात्मक शिक्षा शामिल हैं।

पर्यावरण शिक्षा अधिगम की एक प्रक्रिया है जो पर्यावरण व इससे जुड़ी चुनौतियों के सम्बन्ध में लोगों की जानकारी और जागरूकता को बढ़ाती हैं, चुनौतियों का सामना करने के लिए आवश्यक कुशलताओं व प्रवीणता को विकसित करती हैं और सुविज्ञ निर्णय तथा ज़िम्मेदारी पूर्ण कदम बढ़ाने के लिए इस ओर प्रवृत्ति, प्रेरणा व प्रतिबद्धता का प्रोत्साहन करती हैं (UNESCO, टाबिलिसी घोषणा, 1978).

Answered by khushi02022010
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Explanation:

पर्यावरण की परिभाषा कहती है कि हमारे आस-पास की हर चीज, पर्यावरण में गिरती है चाहे वह जीवित हो या नहीं। इसलिए, पर्यावरणीय अध्ययन प्रकृति में बहुआयामी है।

छात्रों को विभिन्न विषयों जैसे पर्यावरणीय रसायन विज्ञान, सूक्ष्म जीव विज्ञान, गणित, सांख्यिकी, विद्युत सर्किट, प्रयोगशाला तकनीक और विभिन्न प्रदूषण नियंत्रण उपायों और तकनीकों आदि का अध्ययन करने के लिए बनाया जाता है।

वे समाजशास्त्र, मनोविज्ञान आदि विषयों का भी अध्ययन करते हैं क्योंकि लोगों और किसी समस्या के प्रति उनका व्यवहार पर्यावरण पेशेवरों की प्रमुख चिंता का विषय है।

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