पर्यावरण जागरूकता पर टिप्पणी
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पर्यावरण संरक्षण के प्रति जागरूकता
पिछले दो दशको में पर्यावरण ने नीति निमार्ताओ वैज्ञानिको और विश्व के अनेक देशो में आम आदमी का ध्यान आकर्षित किया है। वे अकाल, सूखा, इंर्धन की कमी, जलाने की लकड़ी और चारा, वायु और जल प्रदूषण, रासायनिको और विकिरणो की भवायह समस्या, प्राकृतिक संसाधनो, वन्य जीवन का लुप्त होना एवं वनस्पति तथा जीव जंतुओं को खतरे जैसे मुददो के प्रति अधिक सतर्क होते जा रहे है। लोग आज वायु, जल, मृदा और पौधों जैसे प्राकृतिक पर्यावरणीय ससाधनो की रक्षा करने की आवश्यक्ता के प्रति सजग है तथा यह प्राकृतिक सम्पदा है जिस पर मनुष्य निर्भर करता है।
पर्यावरणीय मुददे महत्वपूर्ण है क्योंकि उनके समाधान के बिना स्थिति बहुत भयावह होगी। यदि पर्यावरणीय समस्याओ को हल नहीं किया गया तो यह पृथ्वी भावी पीढ़ी के रहने योग्य नहीं रहगेी। आज लोगो की और इस ग्रह की आवश्यक्ता एकाकार हो गई है। इस सच्चाई से इन्कार नही किया जा सकता कि भविष्य को संभव बनाने के लिए पर्यावरण की रक्षा एवं बचाव अनिवार्य है। वास्तव में मनुष्य की आवश्यक्ताएं बढ़ गई है और उनके अनुरूप पर्यावरण में परिवर्तन किए जा रहे है। यद्यपि पक्रृित में सहन करने की अपार क्षमता है और यह स्वयं को पुनर्जीवित कर लेती है। परंतु फिर भी इसकी एक सीमा है विशेष रूप से जब बढ़ती जनसंख्या और प्रौद्योगिकी का दबाव निरंतर बढ़ रहा है। आज अक्षय विकास तथा परिवर्तनशील पर्यावरण के सुधार एवं संरक्षण की आवश्यकता है।