पर्यावरण के सामने जो जूझते हुए वृक्ष की आत्मकथा(150-200) essay in hindi
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Answer: मैं एक पेड़ हूँ। पेड़ो के बिना सभी प्राणियों का जीना मुश्किल होता है। उसी तरह मैं एक हरा भरा पेड़ हूँ। मैं लोगो को ऑक्सीजन पहुंचाता हूँ जिसके बिना जीव जंतु और मनुष्य जी नहीं सकते है। मेरे छाए के नीचे लोग गर्मियों के समय बैठते है और मैं उनकी थकान दूर कर देता हूँ। मेरे लहलहाते पत्तो की हवा से मनुष्य को सुकून मिलता है। मैं प्रकृति और पर्यावरण को संतुलित रखता हूँ। मैं मनुष्य को फल , छाया, लकड़ी और औषधि देता हूँ। लेकिन मुझे हमेशा भय रहता है कि कोई मुझे काट ना दे। पशुओं मेरे पत्तो को खाते है। मुझे हमेशा यह डर सताता है कि कोई मुझे नुकसान ना पहुंचाए। यह डर तब अधिक लगता था जब मैं सिर्फ एक पौधा था।
जिस तरीके से मेरे मित्र वृक्षों को हर दिन काटा जा रहा है , मुझे भी कटने का डर रहता है। मैं हूँ तो वर्षा होती है। अगर मुझे और मेरे साथी वृक्षों को ऐसे ही काटा गया तो वह दिन दूर नहीं कि पर्यावरण का संतुलन बिगड़ जाएगा। वृक्षों को काटने से प्रदूषण और ग्लोबल वार्मिंग की समस्याएं बढ़ रही है। हम वृक्षों को दिन प्रतिदिन काटने के कारण वर्षा जैसे कम हो गयी है। पशु और मनुष्य, गर्मियों में जल की एक बून्द के लिए परेशान हो जाते है।