Hindi, asked by rupeshkanwar, 9 hours ago

पर्यावरण की सुरक्षा के भारतीय प्रयास​

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Answered by rakshit143
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Explanation:

प्रस्तावना: हम अगर हमारे चारों और देखे तो ईश्वर की बनाई इस अद्भुत पर्यावरण की सुंदरता देख कर मन प्रफुल्लित हो जाता है पर्यावरण की गोद में सुंदर फूल, लताये, हरे-भरे वृक्षों, प्यारे – प्यारे चहचहाते पक्षी है, जो आकर्षण का केंद्र बिंदु है आज मानव ने अपनी जिज्ञासा और नई नई खोज की अभिलाषा में पर्यावरण के सहज कार्यो में हस्तक्षेप करना शुरू कर दिया है जिसके कारन हमारा पर्यावरण प्रदूषित हो रहा है हम हमारे दोस्तों परिवारों का तो बहुत ख्याल रखते हैं परंतु जब पर्यावरण की बात आती है तो बस गांधी जयंती, या फिर स्वच्छ भारत अभियान, के समय ही पर्यावरण का ख्याल आता है लेकिन यदि हम हमारे पर्यावरण का और पृथ्वी के बारे में सोचेंगे इस प्रदूषण से बच सकते हैं।

पर्यावरण संरक्षण की परिभाषा:- हमारे भारत देश में भारतीय संविधान 1950 में लागू हुआ था परंतु पूरे तरीके से पर्यावरण संरक्षण से नहीं जुड़ा था। सन 1972 में स्टॉकहोम सम्मेलन में भारत सरकार द्वारा ध्यान पर्यावरण संरक्षण पर गया और सरकार ने 1976 में संविधान में संशोधन कर नया अनुच्छेद जोड़े गए थे 48A तथा 51A (G ), जोड़े अनुच्छेद 48 सरकार को निर्देश देता है कि वह पर्यावरण की सुरक्षा करें और उनमें सुधार का काम करें और अनुच्छेद 51 A (G )नागरिकों के लिए है कि वह हमारे पर्यावरण की रक्षा करें।

Answered by mahirajput88
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Answer:

कोयला आधारित विद्युत केंद्रों से प्रदूषण से संबंधित चिंताओं तथा बड़े पैमाने पर राख के निपटान, जोकि भारत के विद्युत उत्पादन का मुख्य आधार है, को पर्यावरणीय रूप से सतत् विद्युत विकास प्रोत्साहित करने की कार्यनीतियों के माध्यम से समाधान किया जा रहा है।

वनरोपण के लिए स्पेशल पर्पज व्हीकल (एसपीवी)

कोयला आधारित केंद्रों के पर्यावरणीय निष्पादन सुधार के लिए शुरुआत

क्लीन डेवलपमेंट मैनेजमेंट (सीडीएम)

आईएसओ 14001

वनरोपण के लिए स्पेशल पर्पज व्हीकल (एसपीवी)

वातावरण में कार्बन डाइऑक्साइड कम करने के लिए वनरोपण और पर्यावरणीय उपाय करने के लिए पंजीकृत सोसायटी के रूप में एनटीपीसी और अन्य केंद्रीय विद्युत क्षेत्र उपक्रम संयुक्त रूप से एक स्पेशल पर्पज व्हीकल स्थापना की जा रही है। सोसायटी के लक्ष्य इस प्रकार होंगे:

राष्ट्रीय वन क्षेत्र को बढ़ाने के लिए सदस्यों द्वारा निवेश, उपयोग, सार्थक चैनेलाइजिंग शुरू करना

पर्यावरण एवं वन मंत्रालय (एमओईएफ) के माध्यम से एनटीपीसी और अन्य सदस्यों की विद्युत परियोजनाओं, वन रोपण के लिए उचित भूमि की पहचान करना, जिसे राज्य वन विभागों/जिला विकास प्राधिकरणों आदि के साथ समन्वित किया जाएगा।

भविष्य की परियोजनाओं को स्थापित करने के लिए एनटीपीसी एवं अन्य सदस्यों द्वारा भूमि अधिगृहित की जानी है, के लिए प्रस्तावित वन भूमि की वन स्वीकृति की शीघ्र खरीद प्रक्रिया को सुविधाजनक बनाना।

एनटीपीसी एवं अन्य सदस्यों की परियोजनाओं के लिए अपेक्षित आवश्यक प्रतिपूरक वन रोपण करने के लिए एमओईएफ के साथ अनुक्रिया, जिसमें वन भूमि के डायवर्जन की आवश्यकता है।

यह उल्लेखनीय है कि एनटीपीसी ने पहले ही 1.45 करोड़ वृक्षों को रोपण किया है, जोकि देश में वन रोपण के बड़े प्रयासों में से एक है। वास्तव में एनटीपीसी के रामागुंडम केंद्र के चारों ओर एनटीपीसी द्वारा किए गए वन रोपण के कारण तापमान 300 सेल्सियस तक घटकर कम हुआ है जो राष्ट्रीय दूरस्थ संवेदी अभिकरण (एनआरएसए), हैदराबाद द्वारा किए गए अध्ययन में दर्शाया गया है।

फ्लाई एश उपयोग की कार्य योजना

सभी कोयला आधारित विद्युत केंद्र प्रति वर्ष 90 मिलियन टन के लगभग फ्लाई एश का उत्पादन करते हैं। टीआईएफएसी का फ्लाई एश मिशन ने सीमेंट के उत्पादन, ब्रिक्स, पेवमेंट सामग्री, फ्लोर टाइल्स, वॉल पैनल्स आदि और कृषि, सड़क निर्माण, सड़क भराई और खानों की पुन:भराई में फ्लाई एश के उपयोग के लिए कई उपयोगी अनुशंसाएं की हैं।

राष्ट्रीय प्रयोगशालाओं में जांच के दौरान पाया गया कि फ्लाई एश परंपरागत उत्पादों की तलना में उत्तम और टिकाऊ है। विद्युत मंत्रालय सड़क और पुलों के निर्माण में देश में विकसित किए जा रहे सरकारी भवनों के निर्माण, अनिवार्य फ्लाई एश उत्पादों का उपयोग करने के लिए कदम उठा रहा है, फ्लाई एश उत्पादों के उत्पादन और संवर्धन शुरू करने के लिए बाजार तंत्र की सहायता शुरू करने में राजस्व प्रोत्साहन देने के लिए कदम उठाता है।

कोयला आधारित केंद्रों के पर्यावरणीय निष्पादन में सुधार के लिए पहलें

एनटीपीसी ने अपने 11 और 2 इसके द्वारा प्रबंधित किए जा रहे संयंत्रों के लिए आईएसओ 14001 मानक प्राप्त किया है। कंपनी अपने शेष संयंत्रों के लिए यही मानक प्राप्त करने की प्रक्रिया में है।

कंपनी में ऊष्मा दर में सुधार एक सतत् प्रक्रिया है जिससे विशिष्ट लाभ प्राप्त होते हैं। एनटीपीसी कार्मिकों ने ऊष्मा दर में सुधार करने के लिए अगले पाँच वर्षों के लिए व्यापक कार्य योजना प्रस्तुत करने के न केवल एनटीपीसी बल्कि राज्य विद्युत बोर्डों के विद्युत केंद्रों को भी कहा है।

एनटीपीसी की सुपर थर्मल पावर भारत में पहली बार सुपर क्रिटिकल तकनीकी अपनाएगी इसके पश्चात् एनटीपीसी नॉर्थ करणपुरा, बाढ़, कहलगाँव-II परियोजनाओं के लिए सुपर क्रिटिकल बॉयलर तकनीकी अपनाने की योजना बनाई है।

आईजीसीसी प्रौद्योगिकी पर आधारित एक कमर्शियल स्केल प्रदर्शन संयंत्र की स्थापना के संबंध में एनटीपीसी भारतीय कोयले के साथ आईजीसीसी की व्यवहार्यता का पता लगाने के लिए संयुक्त राज्य अमेरिका से ऊर्जा विभाग को कोल सैंपल भेजा। इसके पश्चात् एनटीपीसी से कर्मचारियों का एक दल संयुक्त राज्य अमेरिका में प्रचालनाधीन आईजीसीसी संयंत्र के साथ संबंधित प्रयोगशाला का दौरा करेगा।

क्लीन डेवलपमेंट मैकेनिज्म (सीडीएम)

पर्यावरण से बढ़ने वाली संबंधित चिंताओं का समाधान करने और पर्यावरणीय निष्पादन में सुधार लाने के लिए टाटा एनर्जी रिसर्च इंस्टीट्यूट (टेरी) की सेवाएं सीडीएम पर विद्युत मंत्रालय को परामर्शी सेवाएं प्रदान करने के लिए लगाया गया है। विचारार्थ शर्तों मे परियोजना गठन सहित प्रत्येक परियोजना के लिए बेस लाइन सर्वे, सीडीएम पक्षों के साथ बिक्रेता, नियमित राज्यों के काउंटर चार्ट सीडीएम पार्टियों की पहचान, कार्बन डाइ ऑक्साइड निगरानी की लागत और कार्बन डाइ ऑक्साइड उत्सर्जन कमी का सत्यापन और परियोजना कार्यान्वयन का अवलोकन करना शामिल है।

आईएसओ 14001

राष्ट्र के सतत् विकास के लिए नवंबर, 1975 में स्थापित राष्ट्रीय ताप विद्युत निगम लिमिटेड (एनटीपीसी) के कुल उत्पादन की 26% अंशदान 21,749 मेगावाट (भारत में संस्थापित क्षमता का 19%) की संस्थापित क्षमता के साथ भारत की सबसे बड़ी यूटिलिटी है। एनटीपीसी ने अपनी क्षमता को दोगुना करने की योजना बनाई है। एनटीपीसी ने हाल ही में हाइड्रो क्षेत्र में बदलाव और वितरण, आरएण्डएम आदि के लिए एक संयुक्त उद्यम कंपनी का गठन किया है। पर्यावरण प्रबंध कंपनी में एक उच्च प्राथमिकता वाला क्षेत्र है और हरित ऊर्जा का उत्पादन सुनिश्चित करने के लिए कई नीतियों का गठन किया गया है। ध्वनि पर्यावरणीय प्रबंध प्रणाली और प्रयासों के अनुसरण के माध्यम से एनटीपीसी के 18 केंद्रों को आईएसओ 14001 प्रमाण पत्र का प्रमाणन किया गया है। एक जिम्मेदार कारपोरे

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