पर्यावरण में मेरा योगदान छोटी सी कविता लिखिए
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नदियाँ
हजार-हजार
दु:ख उठाकर
जन्म लिया है मैंने
फिर भी औरों की तरह
मेरी सांसों की डोर भी
कच्चे महीन धागे से बंधी है
लेकिन
इसे कौन समझाए इंसान को
जिसने बना दिया है
मुझे एक कूड़ादान।
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