Hindi, asked by manjulaavadutha11, 11 months ago


. पर्यावरण और प्रदूषण पर निबंध लिखिए ।​

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Answered by sharmarahul02
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पर्यावरण प्रदूषण एक बहुत बड़ी समस्या है |धरती के प्राणियों एवं वनस्पतियों को स्वस्थ व जीवित रहने के लिए हमारे पर्यावरण का स्वच्छ रहना अति आवश्यक है ,किन्तु मानव द्वारा स्वार्थ सिद्धि हेतु प्रकृति का इस प्रकार से दोहन किया जा रहा है कि हमारा पर्यावरण दूषित हो चला है और आज पर्यावरण प्रदूषण भारत ही नही ,बल्कि विश्व की एक गंभीर समस्या बन गई है |

प्रदूषण का शाब्दिक अर्थ है-गंदगी । वह गंदगी जो हमारे चारों ओर फैल गई है और जिसकी गिरफ्त में पृथ्वी के सभी निवासी हैं प्रदूषण को मोटे तौर पर तीन श्रेणियों में विभक्त किया जा सकता है-वायु प्रदूषण, जल प्रदूषण और ध्वनि प्रदूषण । ये तीनों ही प्रकार के प्रदूषण मानव के स्वास्थ्य के लिए हानिकारक सिद्ध हो रहे हैं।

प्रकृति और पर्यावरण के प्रेमियों के लिए यह भारी चिंता का विषय बन गया है । इसकी चपेट में मानव-समुदाय ही नहीं, समस्त जीव-समुदाय आ गया है । इसके दुष्प्रभाव चारों ओर दिखाई दे रहे हैं । प्रौद्योगिक उन्नति की आधुनिक दुनिया में, प्रदूषण एक गंभीर पर्यावरणीय मुद्दा बन गया है जो की पृथ्वी पर जीवन को प्रभावित कर रहा है।

सभी प्रकार के प्रदूषण निस्संदेह पूरे पर्यावरण और पारिस्थितिकी तंत्र को प्रभावित कर रहे हैं अतः जीवन की गुणवत्ता को प्रभावित कर रहे हैं। मनुष्य के मूर्ख आदतों से पृथ्वी पर हमारी स्वाभाविक रूप से सुंदर वातावरण दिन-ब-दिन बिगड़ती जा रही है।

पर्यावरण प्रदूषण के कारण

वाहनों के परिवहन की वजह से शहरों में प्रदूषण की दर गांवों की तुलना में अधिक है। वाहनो, फैक्टरियों और उद्योगो से निकलने वाले धुएं शहरों में स्वच्छ हवा को प्रभावित कर रहे है जो की सांस लेने के लिए उचित नहीं है | बड़े सीवेज सिस्टम से गन्दा पानी, घरों से अन्य कचरा, कारखानों और उद्योगों से उपोत्पाद, सीधे नदियों, झीलों और महासागरों को मिल रहें हैं।

ज्यादातर ठोस अपशिष्ट, कचरा और अन्य अनोपयोगी वस्तु लोगो द्वारा भूमि पर फेंके जाते हैं जो की फसल उत्पादन को प्रभावित करते है। शहरों में अधिकांश लोग सिर्फ अपने छड़ीक खुशी के लिए जन्मदिन, विवाह या अन्य अवसरों के दौरान काफी हद तक शोर प्रदूषण फैलाते हैं। वाहनों की बढ़ती संख्या की वजह से शहरों में सभी सड़के दिन भर यातायात के पूर्ण होते जा रहे हैं जो की वायु प्रदूषण और ध्वनि प्रदूषण के कारण हैं।

जीवन को बेहतर बनाने की भीड़ में, हर कोई अपने आसान दैनिक दिनचर्या के लिए अच्छी तरह से संसाधन चाहता है, लेकिन वे अपने प्राकृतिक परिवेश के बारे में जरा सा भी नहीं सोचते। ज्यादातर वायु प्रदूषण रोजमर्रा की सार्वजनिक परिवहन के द्वारा होता है। कार्बन डाइऑक्साइड और कार्बन मोनोऑक्साइड विषैली गैसें है जो की वायु को प्रदूषित करती है और वातावरण में ऑक्सीजन के स्तर को कम कर रहीं हैं|

उत्पादक कारखानें भी लोगों की बढ़ती मांग को पूरा करने के लिए, वायु प्रदूषण के लिए बड़ा योगदान कर रहीं हैं। निर्माण प्रक्रिया के दौरान कारखानों के द्वारा कुछ विषाक्त गैसें, गर्मी और ऊर्जा रिलीज होती है। कुछ अन्य आदतें जैसे की खुले स्थान पे घरेलु कचरे को जलाना आदि भी हवा की गुणवत्ता बिगाड़ रहीं हैं| वायु प्रदूषण इंसान और जानवरों में फेफड़ों के कैंसर सहित अन्य सांस की बीमारियां उत्पन्न कर रहीं हैं|

जल प्रदूषण भी एक बड़ा मुद्दा है जो सीधे समुद्री जीवन को प्रभावित करता है क्योंकि वे अपने उत्तरजीविता के लिए केवल पानी में पाए जाने वाले पोषक तत्वों पर निर्भर रहते हैं। धीरे-धीरे समुद्री जीवन का ग़ायब होना वास्तव में मनुष्य और जानवरों की आजीविका पर असर डालेगा। कारखानों, उद्योगो, सीवेज सिस्टम और खेतों आदि के हानिकारक कचरे का सीधे तौर पे नदियों, झीलों और महासागरों के पानी के मुख्य स्रोत में मिलाना ही जल को दूषित करने का कारण है। दूषित पानी पीना गंभीर स्वास्थ्य संबंधी विकार उत्पन्न करता है।

पर्यावरण प्रदूषण को रोकने के उपाय

जलाशयों में प्रदूषित जल का शुद्धिकरण होना चाहिए । कोयला तथा पेट्रोलियम पदार्थों का प्रयोग घटा कर सौर-ऊर्जा, पवन-ऊर्जा, बायो गैस, सी.एन.जी, एल.पी.जी, जल-विद्‌युत जैसे वैकल्पिक ऊर्जा स्त्रोतों का अधिकाधिक दोहन करना चाहिए । हमें जंगलों को कटने से बचाना चाहिए तथा रिहायशी क्षेत्रों में नए पेड़ लगाने चाहिए । इन सभी उपायों को अपनाने से वायु प्रदूषण और जल प्रदूषण को घटाने में काफी मदद मिलेगी ।

ध्वनि प्रदूषण को कम करने के लिए कुछ ठोस एवं सकारात्मक कदम उठाने की आवश्यकता है । रेडियो, टी.वी. , ध्वनि विस्तारक यंत्रों आदि को कम आवाज में बजाना चाहिए । लाउडस्पीकरों के आम उपयोग को प्रतिबंधित कर देना चाहिए । वाहनों में हल्के आवाज वाले ध्वनि-संकेतकों का प्रयोग करना चाहिए । घरेलू उपकरणों को इस तरह प्रयोग में लाना चाहिए जिससे कम से कम ध्वनि उत्पन्न हो ।

उर्वरक, कवकनाशी, शाकनाशी, कीटनाशकों और अन्य कार्बनिक यौगिकों के उपयोग के कारण मृदा प्रदूषण होता है। यह परोक्ष रूप से हमारे स्वास्थ्य को प्रभावित करता है क्योकि हम मिट्टी में उत्पादित खाद्य सामग्री खाते हैं। हमें प्राकृतिक पारिस्थितिकी तंत्र को बनाए रखने के लिए अपने पर्यावरण का ध्यान रखना चाहिए।

प्रदूषण पर नियंत्रण पाने के लिए संयुक्त प्रयास की आवश्यकता है जिससे की हम एक स्वस्थ्य और प्रदुषण मुक्त वातावरण पा सके। निष्कर्ष रूप में कहा जा सकता है कि प्रदूषण को कम करने का एकमात्र उपाय सामाजिक जागरुकता है |

Answered by Anonymous
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Answer:

पर्यावरण दो शब्दों के मेल से बनता है। परि + आवरण, यानी वह आवरण जो हमें चारों तरफ से घेरे हुए है। नदी, पहाड़, वायु, आकाश, धरती आदि पदार्थ जो हमारे चारों ओर उपस्थित हैं, उसी का नाम पर्यावरण है। ‘प्रदूषण’ शब्द का अर्थ है-हमारे आसपास का वातावरण गंदा होना। आज प्रदूषण की समस्या लगातार बढ़ती जा रही है। प्रदूषण चार प्रकार के होते हैं-ध्वनि प्रदूषण, वायु प्रदूषण, जल प्रदूषण और भूमि प्रदूषण।।

भूमि पर जनसंख्या के बढ़ते दबाव तथा उद्योग धंधों के लिए भूमि की कमी को पूरा करने के लिए वनों की अंधाधुंध कटाई की जा रही है। इसी प्रकार कल-कारखानों की चिमनियों से निकलते धुएँ ने वायु को प्रदूषित कर दिया है। औद्योगिक इकाइयों से निकलने वाला अवशिष्ट पदार्थ जब नदी आदि के पानी में बहा दिया जाता है, तो इस कारण से नदी का पानी प्रदूषित होता है और नगरों में मशीनों, वाहनों आदि के शोर से ध्वनि प्रदूषण होता है।

प्रदूषण के कारण अनेक प्रकार के रोगों का जन्म होता है। वायु प्रदूषण के कारण साँस और आँखों के रोग, खाँसी, दमा आदि होते हैं। प्रदूषित जल के सेवन करने से पेट के रोग हो सकते हैं। ध्वनि प्रदूषण से मानसिक तनाव बढ़ता है। यही नहीं प्रदूषण से उच्च रक्त चाप, हृदय रोग, एलर्जी, चर्म रोग भी हो जाते हैं।

प्रदूषण की रोकथाम के लिए यह आवश्यक है कि वनों की कटाई बंद हो, कारखाने शहरों से दूर स्थापित किए जाएँ। ज़्यादा से ज़्यादा पेड़ लगाने होंगे तथा अपने आसपास साफ़-सफ़ाई का ध्यान रखना होगा।

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