पर्यावरण प्रदूषण अनुच्छेद लेखन
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Explanation:
पर्यावरण प्रदूषण की समस्या दिन पर दिन बढ़ती जा रही है, जिसके जिम्मेदार केवल और केवल हम मनुष्य ही हैं। इसलिए अब ये जिम्मेदारी भी हमारी ही बनती है कि इस समस्या का समाधान निकालें। मीलों, कारखानों, मोटर वाहनों, रासायनिक उर्वरकों और कीटनाशकों के द्वारा कार्बन-मोनो-आक्साइड गैस से जो अपशिष्ट और धुआँ निकलता है उसे कृषि में उपयोग किया जाता है। नालियों का दूषित जल और वनों की कटाई की वजह से भी पर्यावरण प्रदूषण की समस्या बढ़ती जा रही है। आने वाले समय में हम इस समस्या की वजह से सुखी और शांतिपूर्ण जीवन व्यतीत नहीं कर पाएंगे।
यह केवल एक मनुष्य को नहीं बल्कि पूरे देश को नुकसान पहुंचता है और अगर यह समस्या दिन-प्रतिदिन बढ़ती गई, तो भारत को एक बहुत ही गंभीर समस्या का सामना करना पड़ेगा। जो देश विकसित होता है वहाँ पर इस तरह की समस्या बहुत ही दुर्लभ होती है। हमारे देश का प्रत्येक मनुष्य इस समस्या को महसूस करता है लेकिन कोई भी इसे हटाने के लिए कोशिश नहीं करता है। पर्यावरण प्रदूषण के खराब प्रभाव बहुत ही हानिकारक होते हैं। पर्यावरण प्रदूषण से हमारी सामाजिक स्थिति खंडित हो जाती है।
दुनिया में प्राकृतिक गैसों का संतुलन बना रहना बहुत जरूरी होता है लेकिन मनुष्य अपने स्वार्थ के लिए पेड़ों की अंधा-धुंध कटाई कर रहे हैं। अगर यहाँ पर कोई पेड़ ही नहीं रहेगा, तो पेड़ कार्बन-डाईआक्साइड को ग्रहण नहीं कर पाएंगे और ऑक्सीजन को छोड़ नहीं पाएंगे। ऐसे में पेड़ों के प्रतिशत की बहुत अधिक मात्रा में खपत हो जाएगी। कार्बन-डाईआक्साइड की वजह से ग्लोबल वार्मिंग की समस्या अधिक बढ़ जाएगी। अगर प्राकृतिक संसाधनों से छेड़छाड़ की जाती है, तो वह प्राकृतिक आपदाओं का कारण बनती है। हम लोग औद्योगिक विकास की वजह से अपने स्वभाव को भूल गये हैं जिसकी वजह से आज हमें विभिन्न प्रकार के रोगों ने घेर लिया है। पर्यावरण प्रदूषण की समस्या को हम निम्नलिखित समाधानों से खत्म कर सकते हैं, जैसे-
प्रदूषण से पर्यावरण को बचाने के लिए जल्द नियंत्रण की ज़रूरत है। वनीकरण की तरफ अधिक ध्यान दिया जाना चाहिए। पेड़ों की कम-से-कम कटाई की जानी चाहिए। पर्यावरण प्रदूषण के लिए सरकार को उचित कदम उठाने होंगे और इसके विरुद्ध नए कानून जारी करने होंगे।
केवल सरकार ही नहीं बल्कि राजनेताओं, विचारकों, सामाजिक कार्यकर्ताओं और भारत के प्रत्येक मनुष्य को इसे दूर करने के बारे में अधिक जागरूक होना होगा। जागरूकता लाने के लिए विकास की बहुत आवश्यकता है। आधुनिक युग के वैज्ञानिकों में प्रदूषण को खत्म करने के लिए बहुत से प्रयत्न किये जा रहे हैं।
हर मनुष्य को सोचना चाहिए कि कूड़े के ढेर और गंदगी के आस-पास जल स्त्रोत या जलाशय न हों। मनुष्य को कोयला और पेट्रोलियम जैसे उत्पादों का बहुत कम प्रयोग करना चाहिए और जितना हो सके प्रदूषण से रहित विकल्पों को अपनाना चाहिए। मनुष्य को सौर ऊर्जा, सीएनजी, वायु ऊर्जा, बायोगैस, रसोई गैस, पनबिजली का अधिक प्रयोग करना चाहिए। ऐसा करने से वायु प्रदूषण और जल प्रदूषण को कम करने में बहुत सहायता मिलती है।
जो कारखाने पहले ही बन चुके हैं उन्हें तो हटाया नहीं जा सकता है लेकिन सरकार को आगे बनाने वाले कारखानों को शहर से दूर बनाना चाहिए। ऐसे यातायात साधनों को प्रयोग में लाना चाहिए जिससे धुआं कम निकले और वायु प्रदूषण को रोकने में मदद मिल सके। पेड़-पौधों और जंगलों की कटाई पर प्रतिबंध लगाना चाहिए।
नदियों के जल को कचरे से बचाना चाहिए और पानी को रिसाइक्लिंग की सहायता से पीने योग्य बनाना चाहिए। प्लास्टिक के बैगों का कम प्रयोग करना चाहिए और जिन्हें रिसाइकल किया जा सके उनका प्रयोग अधिक करना चाहिए। प्रदूषण को खत्म करने के लिए कानूनों और नियमों का पालन करना चाहिए।
निष्कर्ष
लाखों-करोड़ों वर्षों से पृथ्वी पर ताजा वायु और स्वच्छ बहता पानी उपलब्ध है। हमारे दुरुपयोग की वजह से अब ये प्राकृतिक संसाधन दूषित हो रहे हैं। पर्यावरण का अध्ययन करने वाले वैज्ञानिक दूषित पानी और वायुमंडल को साफ करते हैं। पर्यावरण के समर्पित वैज्ञानिक हमें समझाते हैं कि किन सावधानियों से हम वातावरण की शुद्धता को बनाए रख सकते हैं। वे हमें बताते हैं कि हम ऐसा कोई भी कार्य न करें जिससे प्रकृति का संतुलन बिगड़े या वातावरण प्रदूषित हो। हमें सबसे ज़्यादा ज़रूरत है अपने गांवों को प्रदूषित होने से बचाने की। हमें इस बात का पूरा ध्यान रखना होगा कि शहरों का प्रदूषण गांवों तक पहुँच पाये।
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