पर्यावरण प्रदूषण पर निबंधl
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जैसे-जैसे अनुकरण बढ़ता जा रहा है पैसे कैसे चारों तरफ प्रदूषण भी बढ़ता जा रहा है हमारा पर्यावरण पूरी तरीके से प्रदूषित हो चुका है यहां पर समान लेने में बहुत तकलीफ होती . यह सब वृक्षों की कटाई के कारण हो रहा है अगर मानव वृक्षों की कटाई ना करें अगर रहे उसे कोई जरूरत है .
प्रदूषण से बहुत ही ज्यादा घातक बीमारियों का भी सामना करना पड़ सकता है जैसे श्वास लेने में दिक्कत अस्थमा हार्टअटैक आंखों में देखकर अन्य चर्म रोग क्या होता प्रदूषण से किसी की भी मृत्यु भी हो सकतीहै
अगर हम पर्यावरण को प्रकार प्रदूषित करते रहे तो शायद किसी दिन सभी को जीवन बहुत ही दर्द ताई हो जाएगा.
तो सभी मानव जाति का यह कर्तव्य बनता है कि हम प्रदूषण तक का बोला है व्याकरण को बचाएं ताकि कल हम भी बचपाई.
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पर्यावरण दो शब्दों के मेल से बनता है। परि + आवरण, यानी वह आवरण जो हमें चारों तरफ से घेरे हुए है। नदी, पहाड़, वायु, आकाश, धरती आदि पदार्थ जो हमारे चारों ओर उपस्थित हैं, उसी का नाम पर्यावरण है। ‘प्रदूषण’ शब्द का अर्थ है-हमारे आसपास का वातावरण गंदा होना। आज प्रदूषण की समस्या लगातार बढ़ती जा रही है। प्रदूषण चार प्रकार के होते हैं-ध्वनि प्रदूषण, वायु प्रदूषण, जल प्रदूषण और भूमि प्रदूषण।।
भूमि पर जनसंख्या के बढ़ते दबाव तथा उद्योग धंधों के लिए भूमि की कमी को पूरा करने के लिए वनों की अंधाधुंध कटाई की जा रही है। इसी प्रकार कल-कारखानों की चिमनियों से निकलते धुएँ ने वायु को प्रदूषित कर दिया है। औद्योगिक इकाइयों से निकलने वाला अवशिष्ट पदार्थ जब नदी आदि के पानी में बहा दिया जाता है, तो इस कारण से नदी का पानी प्रदूषित होता है और नगरों में मशीनों, वाहनों आदि के शोर से ध्वनि प्रदूषण होता है।
प्रदूषण के कारण अनेक प्रकार के रोगों का जन्म होता है। वायु प्रदूषण के कारण साँस और आँखों के रोग, खाँसी, दमा आदि होते हैं। प्रदूषित जल के सेवन करने से पेट के रोग हो सकते हैं। ध्वनि प्रदूषण से मानसिक तनाव बढ़ता है। यही नहीं प्रदूषण से उच्च रक्त चाप, हृदय रोग, एलर्जी, चर्म रोग भी हो जाते हैं।
प्रदूषण की रोकथाम के लिए यह आवश्यक है कि वनों की कटाई बंद हो, कारखाने शहरों से दूर स्थापित किए जाएँ। ज़्यादा से ज़्यादा पेड़ लगाने होंगे तथा अपने आसपास साफ़-सफ़ाई का ध्यान रखना होगा।