पर्यावरण परिवर्तन के बारे में लिखिए जो समाज के विकास की ओर ले जाता है
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2.1 पर्यावरण में प्राकृतिक संसाधनों की उपलब्धता
आदिम मानव अपने जीवन निर्वाह के लिये पर्यावरण पर निर्भर था। मानव जब और अधिक सभ्य होता गया, तब अपने जीवन को आरामदायक बनाने के लिये पर्यावरणीय संसाधनों का उपयोग करता था और विभिन्न पर्यावरणीय खतरों से अपने को बचाने के लिये उनका विभिन्न प्रकार से उपयोग करता था।
2.1.1 अजैविक संसाधन
अजैविक संसाधन वस्तुतः प्रकृति के भौतिक संसाधन होते हैं जिनका वर्णन नीचे किया गया है-
क. भूमिः विभिन्न जीव जिनमें मनुष्य भी शामिल है, पृथ्वी पर रहते हैं। पृथ्वी की सतह का लगभग 29% भाग भूमि है जिसमें पर्वत, चट्टानें, मरुस्थल, दलदल, वन और घास के मैदान शामिल हैं। मनुष्य भूमि का उपयोग फसल उगाने के लिये करता है जिससे उसको भोजन प्राप्त होता है। उनको भूमि की आवश्यकता रहने के लिये मकान बनाने, सड़कें, तथा पशुशाला बनाने के लिये भी पड़ती है। बढ़ती हुई जनसंख्या की जरूरतों को पूरी करने के लिये, शहरीकरण और औद्योगीकरण, बांध बनाने, फ्लाई ओवर, भूमिगत पारपथ और फैक्ट्रियों के निर्माण के लिये भी भूमि की जरूरत होती है। भूमि संसाधनों का तीव्र गति से ह्रास हो रहा है।
ख. जलः प्राकृतिक जलस्रोत जिनमें महासागर और समुद्र तथा सतही जलस्रोत जैसे नदियाँ, झील, झरने और तालाब आदि आते हैं। पृथ्वी पर पाये जाने वाले अलवणीय जल का लगभग 80% भाग ऊँचे अक्षांशों और पहाड़ों की चोटियों पर बर्फ के रूप में जमा रहता है। केवल 20% भाग ही द्रव अवस्था में उपलब्ध होता है। पृथ्वी पर जल का प्राथमिक स्रोत वर्षा है। सभी जीवधारियों के लिये पानी अत्यंत आवश्यक है। पानी की आवश्यकता-
- कृषि (खेतीबारी) फसलों की सिंचाई
- उद्योगों में
- इमारतों के निर्माण में
- मछली, झींगा, जलीय पौधों (ऐक्वाकल्चर) के संवर्धन और
- पीने, नहाने, धोने, सफाई, बागवानी, मिट्टी के बर्तन बनाने आदि के लिये आवश्यक होता है।
यद्यपि जल कभी खत्म न होने वाला प्राकृतिक संसाधन है फिर भी इसके अत्यधिक प्रयोग और पानी को व्यर्थ करना इसकी कमी की तरफ इशारा करता है।
ग. ऊर्जाः ऊर्जा का प्राथमिक स्रोत सौर विकिरण है। आदि मानव ईंधन तथा गोबर और जन्तुओं के अपशिष्टों का प्रयोग गर्माहट तथा खाना पकाने के लिये करता था। गुफाओं और अपनी झोपड़ी में रोशनी करने के लिये, बीज से निष्कासित तेल और मछलियों का उपयोग करते थे। ऊर्जा का दूसरा मुख्य जीवाश्मीय ईंधन के स्रोत का उदाहरण है कोयला। जैसा कि आप सभी जानते हैं कि कोयला लाखों वर्ष पूर्व पायी जाने वाली वनस्पति से निर्मित हुआ है जो तलछटों में गिर गये थे और उसमें दब गये थे। अत्यधिक दबाव के चलते और वर्षों तक प्रचण्ड गर्मी के कारण ये वृक्ष और अन्य वनस्पतिक अवसादों में दबकर कोयले के रूप में परिवर्तित हो गयी। कोयले का उपयोग खाना पकाने, इंजनों को चलाने, उद्योगों में काम आने वाली भट्टियों और बिजली उत्पन्न करने में किया जाता है। कोयले का प्रयोग धातुओं और खनिजों के निष्कर्षण के लिये भी किया जाता है साथ ही तापीय ऊर्जा उत्पादन में भी करते हैं।
घ. पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस भी जीवाश्मीय ईंधन है। पेट्रोलियम संभवतः जलीय जीवों जो पिछले भूवैज्ञानिक काल के दौरान पाये जाते हैं, से हुआ है। ठीक उसी तरह जैसे वनस्पतियों से कोयले का निर्माण हुआ था। पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस पृथ्वी के अत्यंत भीतरी भाग से प्राप्त किये जाते हैं और ऊर्जा के ये संसाधन अनवीकरणीय हैं (अर्थात पुनःनिर्माण नहीं किया जा सकता है)। पेट्रोलियम उत्पादों का उपयोग वाहनों के चलाने, स्टीमर, हवाई जहाज और प्लास्टिक और उर्वरकों के बनाने में किया जाता है। पेट्रोल और डीजल परिष्कृत पेट्रोलियम उत्पाद हैं। आपने शायद सीएनजी (संपीड़ित प्राकृतिक गैस) के बारे में सुना होगा जिसे आजकल वाहनों को चलाने के लिये प्रयोग में लाया जा रहा है और इसे एक स्वच्छ ईंधन माना जा रहा है। प्राकृतिक गैस और डीजल का प्रयोग विद्युत उत्पादन में किया जाता है। एल-पी-जी- (द्रवीय पेट्रोलियम गैस) को सिलिंडरों या पाइप लाइन के द्वारा लाया जाता है और खाना पकाने के ईंधन के रूप में उपयोग किया जाता है।
पेट्रोलियम को खनिज तेल भी कहते हैं। पेट्रोलियम के समान प्राकृतिक गैस भी गैसीय हाइड्रोकार्बनों का ही एक मिश्रण होती है।
ऊर्जा अन्य स्रोतों जैसे सूर्य (सौर ऊर्जा), पवन (पवन ऊर्जा), जीव अपशिष्ट (बायोगैस), समुद्र (ज्वारीय ऊर्जा) और रेडियोऐक्टिव खनिज (नाभिकीय ऊर्जा) से भी प्राप्त की जाती है।
ड. खनिज अयस्क या खनिजः खनिज अयस्क धातुओं के रासायनिक यौगिक होते हैं जैसे एल्युमिनियम, आयरन (लौह), कॉपर (तांबा), जिंक, मैग्नीज इत्यादि। ये सभी अयस्क पृथ्वी में एक संचित भंडार के रूप में पाये जाते हैं। एल्यूमिनियम का उपयोग बर्तन, वाहनों के विभिन्न भागों, हवाई जहाज और अंतरिक्ष यान बनाने में करते हैं। आयरन और उसके सम्मिश्रण का उपयोग हथियार, भारी मशीनरी, रेल-इंजन, रेल-पटरियां और दूसरी अन्य वस्तुएँ बनायी जाती हैं। कॉपर का उपयोग औद्योगिक पात्र, इलेक्ट्रिक तार बनाने के साथ-साथ इलेक्ट्रॉनिक और दूरसंचार उद्योग में भी किया जाता है। सम्मिश्र धातुएँ जैसे पीतल और कांसे में भी कॉपर पाया जाता है। जबकि सभी धातु अयस्क सीमित मात्रा में ही उपलब्ध है और अत्यधिक खनन करने के कारण ये धातु अयस्क अतिशीघ्रता से खत्म होते जा रहे हैं। चांदी, सोना और प्लेटिनम जैसी बहुमूल्य धातुएँ भी हमारे बीच में पायी जाती हैं और जिसे मनुष्य एक बहुमूल्य खजाना मानता है।
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