पर्यावरण संकट क्या है इसके नियंत्रण हेतु विद्यालय की भूमिका की विवेचना कीजिए
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pryabaran sankat kya h niyatran hetu vidyalaya ki bhumika
पर्यावरण संकट की परिभाषा तथा इसके नियंत्रण हेतु विद्यालय की भूमिका की विवेचना निम्न प्रकार से की गई है।
पर्यावरण संकट
पृथ्वी चारों ओर से पर्यावरण से घिरी हुई है। इस पर्यावरण की कई परतें है। इन परतों में एक परत ओजोन गैस की परत है जो हमें सूर्य की पराबैंगनी किरणों से बचाती है।
आजकल दूषित वातावरण तथा कारखानों में प्रयुक्त आधुनिक तकनीकी के कारण वहां से कार्बन डाइऑक्साइड गैस का अत्यधिक मात्रा में रिसाव होता है जिसके परिणामस्वरूप ओजोन गैस की परत में एक छेद हो गया है तथा वहां से छूटकर सूर्य की पराबैंगनी किरणें अधिक मात्रा में इस पृथ्वी पर पहुंच रही है जो वन्य जीवन तथा सभी प्राणियों के लिए घातक है।
इसके अतिरिक्त वाहनों से निकलने वाले धुएं से भी वातावरण में कार्बन डाइऑक्साइड की मात्रा बढ़ रही है ।
इस समस्या को पर्यावरण संकट कहा गया है।
विद्यालय में पर्यावरण संकट के नियंत्रण हेतु विद्यार्थियों को निम्नलिखित उपाय करने के लिए प्रेरित किया जाना चाहिए।
- पाठशाला आने के लिए विद्यार्थी साइकिल का प्रयोग करें ।
- ईंधन का उपयोग जरूरत के अनुसार करे।
- विद्यार्थी दिवाली में पटाखे जलाकर वातावरण दूषित न करे तथा वे अपने आस पास भी लोगो को पटाखे न जलाने के लिए प्रेरणा दें।