Hindi, asked by sureshnikam792, 1 month ago

पर्यावरण सुरक्षा और वृक्ष’ इस विषय पर अपने विचार लिखीए। तथा पोश्टर या चित्र तैयार कीजीए ।​

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Answered by hemantsuts012
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Answer:

पर्यावरण को प्रदूषित होने से बचाना ही पर्यावरण संरक्षण कहलाता है। पर्यावरण संरक्षण का मुख्य उद्देश्य भविष्य के लिए पर्यावरण या प्राकृतिक संसाधनों की रक्षा करना है। इस सदी में हम लोग विकास के नाम पर पर्यावरण को लगातार नुकसान पहुंचा रहे हैं। अब हम ऐसी स्थिति में पहुंच गए हैं कि हम पर्यावरण संरक्षण के बिना इस ग्रह पर लंबे समय तक जीवित नहीं रह सकते हैं। इसलिए हम सभी को पर्यावरण संरक्षण पर ध्यान देना चाहिए।

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पर्यावरण सुरक्षा और वृक्ष’ इस विषय पर अपने विचार लिखीए। तथा पोश्टर या चित्र तैयार कीजीए ।

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पर्यावरण सुरक्षा और वृक्ष’ इस विषय पर अपने विचार लिखीए। तथा पोश्टर या चित्र तैयार कीजीए ।

Explanation:

आज के मानव ने प्रकृति पर पूर्णतः विजय पा ली है। यह विकास की दृष्टि से तो ठीक है, परंतु ऐसा करके मानव ने अपने ही पैरों पर कुल्हाड़ी मार दी है। विज्ञान की मदद से मानव चांद पर भी चला गया है, पर जिस हिसाब से आधुनिकता के नाम पर उसने प्रकृति से छेड़छाड़ की है, उसका खामियाजा तो हम मानवों को ही भुगतना पड़ेगा।

अगर समय रहते हम नहीं चेते और पर्यावरण को बचाने के बारे में नहीं सोचा तो, इसके भयंकर परिणाम हो सकते हैं। पूरे सौर-मंडल में केवल हमारी पृथ्वी पर ही जीवन संभव है। परंतु यह अधिक दिनों तक संभव नहीं है। हमें समय रहते, पर्यावरण को प्रदूषण मुक्त करके सुरक्षित करना है।

पर्यावरण शब्द दो शब्दों से मिलकर बना है, परि+आवरण। परि अर्थात ‘चारों ओर’ और आवरण का अर्थ है ‘घेरे हुए’। हमारे चारों ओर फैले आवरण को ही पर्यावरण कहते है। दूसरे शब्दों में मानव, वनस्पति, पशु-पक्षी सहित सभी जैविक और अजैविक घटकों के समूह को पर्यावरण कहते हैं। इसमें हवा, पानी, मिट्टी, पेड़, पहाड़, झरने, नदियां आदि सभी आते हैं।

पर्यावरण संरक्षण को पारिस्थितिकी प्रणालियों और उनके घटक भागों में अवांछित परिवर्तनों की रोकथाम के रुप में भी परिभाषित कर सकते हैं। दूसरे शब्दों में कह सकते हैं कि पर्यावरण संरक्षण

. मानव गतिविधियों से जुड़े परिवर्तनों से पारिस्थितिक तंत्र और उनके घटक भागों की सुरक्षा; तथा

. पारिस्थितिक तंत्र और उनके घटक भागों में अवांछित प्राकृतिक परिवर्तनों की रोकथाम करने का नाम है।

हमारा पर्यावरण प्राकृतिक और कृत्रिम परिवेश, दोनों का मिलाजुला स्वरुप है। इसके अन्तर्गत पर्यावरण की गुणवत्ता के संरक्षण की बात की जाती है।

पर्यावरण सुरक्षा की गंभीरता को देखते हुए 5 जून, 1972 में पहली बार स्टॉकहोम (स्वीडन) में पहला पर्यावरण सम्मेलन आयोजित किया गया। पर्यावरण को संरक्षित करने के लिए भारत ने भी महत्वपूर्ण कदम उठाया और 1986, में पर्यावरण संरक्षण अधिनियम पारित कर दिया। इस अधिनियम का मुख्य उद्देश्य वातावरण में घुले घातक रसायनों की अधिकता को कम करना और पारिस्थितिकीय तंत्र को प्रदूषण से बचाना है।

इस अधिनियम में कुल 26 धाराएं हैं। और इन धाराओं को चार अलग-अलग अध्यायों में विभक्त किया गया है। यह कानून पूरे भारतवर्ष में 19 नवंबर, 1986 से प्रभावी है। यह एक वृहद अधिनियम है जो पर्यावरण के सभी मुद्दों पर एकसमान रुप से नज़र रखता है। संक्षेप में कह सकते हैं कि -

. इस अधिनियम का निर्माण पर्यावरण के संरक्षण और सुरक्षा के लिए बनाया गया है।

. यह पर्यावरण के लिए, किए गए स्टॉकहोम सम्मेलन के सभी .

नियमों का पालन करता है।

. अपेक्षित कानूनों का गठन करता है और उनके बीच संतुलन स्थापित भी बनाये रखता है।

. पर्यावरण के लिए अगर कोई खतरा उत्पन्न करता है तो उसके लिए दंड का भी प्रावधान है।

पर्यावरण की सुरक्षा के लिए यह सरकार द्वारा उठाया गया सराहनीय कदम है। यह कानून सरकार को ऐसी शक्तियां प्रदान करता है जिसके आधार पर सरकार, पर्यावरण के संरक्षण के लिए अपेक्षित कदम उठाती है और पर्यावरण के लिए गुणवत्ता मानक तय करती है। इतना ही नहीं जो उद्योग पर्यावरण को नुकसान पहुंचाते है, उनके लिए कड़े नियम बनाती है और उन पर नकेल भी कसती है। इसके तहत कुछ औद्योगिक क्षेत्रों को प्रतिबंधित भी किया है।

#SPJ3

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