पर्यावरण संरक्षण पर शिक्षक और छात्र के बीच बहस
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एडेला: हैलो डेरेक, आप कैसे हैं?
डेरेक: मैं ठीक हूँ और तुम?
एडेला: मैं भी ठीक हूँ। लेकिन आप इतने चिंतित क्यों दिखते हैं?
डेरेक: आप सही हैं मैं पर्यावरण प्रदूषण के बारे में कुछ हद तक चिंतित हूं।
एडेला: ओह, हां! हमारे पर्यावरण एक महान खतरे में है। इसे गंभीर रूप से प्रदूषित किया जा रहा है
डेरेक: आप बिल्कुल सही हैं पर्यावरण प्रदूषण की समस्या मनुष्य और जानवरों के लिए एक बड़ा खतरा बन गया है।
एडेला: बिल्कुल! लेकिन आप इसके प्रभाव के बारे में क्या सोच रहे हैं?
डेरेक: पर्यावरण प्रदूषण का प्रभाव गंभीर है। यह पारिस्थितिक असंतुलन को जन्म देती है और प्राकृतिक आपदाएं लाती है।
एडेला: बिल्कुल! इसके अलावा, विश्व के तापमान में वृद्धि पर्यावरण प्रदूषण का नतीजा है। इसके बारे में आपका विचार क्या है?
डेरेक: मैं आपके साथ सहमत हूं इसके अलावा, मुझे लगता है कि तापमान बढ़ने के कारण पौधों और जानवरों की विलुप्त होने की संभावना है।
एडेला: बिल्कुल! इसके अलावा, बर्फ पिघल रहा है और पर्यावरण प्रदूषण की वजह से समुद्र का जल स्तर बढ़ रहा है।
डेरेक: हाँ, बिल्कुल। इसके अलावा, पर्यावरण प्रदूषण के कारण हम विभिन्न प्रकार के रोगों से पीड़ित हैं।
एडेला: आप सही हैं लेकिन पर्यावरण प्रदूषण को रोकने के लिए हम क्या कर सकते हैं?
डेरेक: पर्यावरण के प्रदूषण को रोकने के लिए जीवन के सभी क्षेत्रों के लोग आगे आना चाहिए। उन्हें इसके हानिकारक प्रभाव से अवगत कराया जाना चाहिए
एडेला: आप सही हैं! धन्यवाद। डेरेक: आपका सबसे स्वागत है बाद में मिलते हैं।
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अध्यापक – सुप्रभात बच्चों।
विद्यार्थी – सुप्रभात गुरुजी।
अध्यापक – आज हम प्रदूषण के विषय पर
चर्चा करेंगे। प्रदूषण क्या है? इसका क्या कारण है? और इससे होने वाले नुकसान और प्रदूषण को कैसे नियंत्रित
करें इस विषय पर हम जाणकारी प्राप्त करेंगे।
अध्यापक –
तो चलो बताओ बच्चों, प्रदूषण क्या होता है?
रोहन (विद्यार्थी) – गुरुजी, पृथ्वी पर उपलब्ध प्राकृतिक संसाधनों में कुछ
हानिकारक या जहरीले पदार्थ के मिश्रण को ही प्रदूषण कहते हैं।
अध्यापक – बिलकुल सही,
फैक्टरियों से निकलने वाला कचरा तथा अन्य गतिविधियों से
उत्पन्न हुए अनेक प्रकार के प्रदूषक, मिट्टी, पानी, हवा/वायु को दूषित करते हैं
और यही है प्रदूषण। प्रदूषण अनेक प्रकार के होते हैं। कोई बता सकता है कि प्रदूषण
किस प्रकार के होते हैं? शिल्पा तुम बताओ।
शिल्पा (विद्यार्थीनी) – गुरुजी प्रदूषण कई प्रकार के
होते हैं जैसे वायु-प्रदूषण, जल-प्रदूषण तथा भू-प्रदूषण, ध्वनि-प्रदूषण इत्यादि।
अध्यापक – बिलकुल सही कहा शिल्पा ने। प्रदूषण कई प्रकार
के होते हैं, वायु-प्रदूषण, ध्वनि-प्रदूषण, जल-प्रदूषण तथा भू-प्रदूषण। जिसे हम
कहते है पर्यावरण प्रदूषण। शहरों में बढ़ते वाहनों के प्रदूषण से वातावरण और ताजी
हवा प्रदूषित होती है, जो सांस लेने के लिए हानिकारक है। प्रदूषित वायु में साँस
लेने से मनुष्य को फेफड़ों और श्वास-संबंधी अनेक रोगों का सामना करना पड़ रहा हैं। बड़े-बड़े सीवरेज सिस्टम से गंदा पानी निकलकर नदियों, झरनों तथा महासागरों
में मिलता है और यह प्रदूषित जल पीने से पेट संबंधी रोग जैसे कालरा, आंत्र ज्वर, पीलिया फैलते हैं। ध्वनि प्रदूषण से मानसिक
तनाव उत्पन्न होता है। इससे अशांति, बहरापन, चिंता इत्यादि समस्याओं का सामना करना पड़ता है। यह बताओ कि इस
बढ़ते प्रदूषण को कैसे रोका जा सकता है।
सक्षम (विद्यार्थी) – गुरुजी, धुआं उत्पन्न करने वाले वाहनों के
स्थान पर स्कूल जाने के लिए साइकिल का उपयोग कर सकते हैं। सब जगह, खास तौर से नदियों के जल में कूड़ा फेंकने की आदत छोड़कर
प्रदूषण कम करने में सहायता कर सकते हैं।
निलेश (विद्यार्थी) – गुरुजी, प्रदूषण से निजात पाने के लिए सार्वजनिक स्तर पर
सामाजिक जागरूकता कार्यक्रम चलाकर लोगों को
जागरूक किया जा सकता है।
नेहा (विद्यार्थीनी) – गुरुजी, अधिक से अधिक पेड़-पौधे लगाकर,
सौर ऊर्जा से चलने वाले यंत्रो का इस्तेमाल करके भी प्रदूषण को रोका जा सकता है।