पर्यवानं परदूसड निभांड
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प्रस्तावना : विज्ञान के इस युग में मानव को जहां कुछ वरदान मिले है, वहां कुछ अभिशाप भी मिले हैं। प्रदूषण एक ऐसा अभिशाप हैं जो विज्ञान की कोख में से जन्मा हैं और जिसे सहने के लिए अधिकांश जनता मजबूर हैं।
प्रदूषण का अर्थ : प्रदूषण का अर्थ है -प्राकृतिक संतुलन में दोष पैदा होना। न शुद्ध वायु मिलना, न शुद्ध जल मिलना, न शुद्ध खाद्य मिलना, न शांत वातावरण मिलना।
प्रदूषण कई प्रकार का होता है! प्रमुख प्रदूषण हैं - वायु-प्रदूषण, जल-प्रदूषण और ध्वनि-प्रदूषण । प्रभाव और समस्या Impact and problem
पर्यावरण प्रदुषण का पृथ्वी और मनुष्य दोनों पर बहुत ही बुरा और नकारात्मक प्रभाव पड़ रहा है। आज ज्यादा से ज्यादा पैसे कमाने और लाभ के लिए मनुष्य विज्ञानं की मदद ले रहा है। परन्तु इस चक्कर में कई प्रकार के हानिकारक रसायन उत्पादों को हम हर दिन अपने भोजन के माध्यम से खा रहे हैं और हर दिन प्रकृति के साथ खिलवाड़ कर रहे हैं।
ना सिर्फ भारत में पुरे विश्व में प्रदुषण का यही हाल है। सबसे बड़ा सवाल बस यही है कि क्या हम सही दिशा में चल रहे हैं? इसका सीधा उत्तर है- बिलकुल नहीं, क्योंकि कोई भी विनाश का रास्ता सही नहीं होता है।
प्रदुषण के कारण कई प्रकार की बीमारियों से पुरे विश्व भर के लोगों को सहना पड़ रहा है। इनमें से कुछ मुख्य बीमारियाँ और स्वास्थ से जुडी मुश्किलें पैदा हो रही हैं – टाइफाइड, डायरिया, उलटी आना, लीवर में इन्फेक्शन होना, साँस से जुडी दिक्कतें आना, योन शक्ति में कमी आना, थाइरोइड की समस्या, आँखों में जलन, कैंसर, ब्लड प्रेशर, और ध्वनि प्रदुषण के कारण गर्भपात।
जो भी सामान आज के दिन में हम खाते हैं, पीते हैं सब कुछ प्रदुषण की चपेट में आ चूका है। हर चीज दूषित हो चूका है जिसके कारण कई लाइलाज बीमारियां फ़ैल चुकी हैं।
जल को प्रदूषित करने के कारण अब पीने का पानी भी पृथ्वी पर बहुत कम बच गया है। आंकड़ों के अनुसार पृथ्वी पर 71 प्रतिशत जल है परन्तु उसमें से मात्र 1 प्रतिशत पानी ही पीने लायक है। लोगों को कपडे धोने, खाना पकाने और खेती किसानी के लिए भी पानी का देखकर उपयोग करना चाहिए।
प्रदूषण का अर्थ : प्रदूषण का अर्थ है -प्राकृतिक संतुलन में दोष पैदा होना। न शुद्ध वायु मिलना, न शुद्ध जल मिलना, न शुद्ध खाद्य मिलना, न शांत वातावरण मिलना।
प्रदूषण कई प्रकार का होता है! प्रमुख प्रदूषण हैं - वायु-प्रदूषण, जल-प्रदूषण और ध्वनि-प्रदूषण । प्रभाव और समस्या Impact and problem
पर्यावरण प्रदुषण का पृथ्वी और मनुष्य दोनों पर बहुत ही बुरा और नकारात्मक प्रभाव पड़ रहा है। आज ज्यादा से ज्यादा पैसे कमाने और लाभ के लिए मनुष्य विज्ञानं की मदद ले रहा है। परन्तु इस चक्कर में कई प्रकार के हानिकारक रसायन उत्पादों को हम हर दिन अपने भोजन के माध्यम से खा रहे हैं और हर दिन प्रकृति के साथ खिलवाड़ कर रहे हैं।
ना सिर्फ भारत में पुरे विश्व में प्रदुषण का यही हाल है। सबसे बड़ा सवाल बस यही है कि क्या हम सही दिशा में चल रहे हैं? इसका सीधा उत्तर है- बिलकुल नहीं, क्योंकि कोई भी विनाश का रास्ता सही नहीं होता है।
प्रदुषण के कारण कई प्रकार की बीमारियों से पुरे विश्व भर के लोगों को सहना पड़ रहा है। इनमें से कुछ मुख्य बीमारियाँ और स्वास्थ से जुडी मुश्किलें पैदा हो रही हैं – टाइफाइड, डायरिया, उलटी आना, लीवर में इन्फेक्शन होना, साँस से जुडी दिक्कतें आना, योन शक्ति में कमी आना, थाइरोइड की समस्या, आँखों में जलन, कैंसर, ब्लड प्रेशर, और ध्वनि प्रदुषण के कारण गर्भपात।
जो भी सामान आज के दिन में हम खाते हैं, पीते हैं सब कुछ प्रदुषण की चपेट में आ चूका है। हर चीज दूषित हो चूका है जिसके कारण कई लाइलाज बीमारियां फ़ैल चुकी हैं।
जल को प्रदूषित करने के कारण अब पीने का पानी भी पृथ्वी पर बहुत कम बच गया है। आंकड़ों के अनुसार पृथ्वी पर 71 प्रतिशत जल है परन्तु उसमें से मात्र 1 प्रतिशत पानी ही पीने लायक है। लोगों को कपडे धोने, खाना पकाने और खेती किसानी के लिए भी पानी का देखकर उपयोग करना चाहिए।
ankush5082:
thank u
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