Paragraph about मानव जीवन एक बुलबुला है।
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मनुष्य का जीवन बुलबुले की तरह : साध्वी
मनुष्य का जीवन बुलबुले की तरह : साध्वीपानी के अनेक बुलबुले बनते हैं, लेकिन देखते ही देखते समाप्त हो जाते हैं। वैसे ही मनुष्य का जीवन है। जिस प्रकार रात में टिमटिमाते तारे सुबह छिप जाते हैं, दिखाई नहीं देते। उसी प्रकार मनुष्य का जीवन भी समाप्त हो जाता है।
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