Hindi, asked by anzeludar10, 14 days ago

paragraph for hindi oral on topic "sintosh hi param sukh h "​

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Answered by llMsBrainlyTrainerll
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Answer:

महर्षि पतंजलि ने योग सूत्र में नैतिक बल को प्राप्त करने के पांच नियम बताए हैं। इन पांच नियमों में एक नियम है संतोष। संतोष ही परम सुख है।

परमेश्वर से जो कुछ मिला है उसी का प्रसन्न रहकर भोग करना चाहिए ताकि किसी प्रकार का लोभ या तृष्णा न सताए। पतंजलि ने संतोष को चित्तवृत्तियों को निर्मल और अनुशासित करने के उपाय के रूप में सम्मिलित किया है। संतोष वैराग्य का नहीं, बल्कि अनुग्रह का भाव है। संतोष का शाब्दिक अर्थ है तुष्टि, मन का तृप्त हो जाना। हमारे समक्ष जो भी परिस्थितियां विद्यमान हैं उन्हें ईश्वर का अनुग्रह मानें और प्रसन्न रहें। जब साधक के मन में भाव आता है कि उसके पास औरों की तुलना में साधनों की बेहद कमी है, वैभव कम है, संपदा कम है, यश नहीं मिल रहा है और पद-प्रतिष्ठा नहीं है तो वह दुखी होता है। अभाव क्यों नजर आता है? जब दूसरों से तुलना करते हैं तभी अभाव नजर आता है। मनुष्य के अतिरिक्त कोई और प्राणी अभाव का रोना नहीं रोता, क्योंकि उसके पास तुलना करने वाली सोच नहीं है। यदि तुलना की इस आदत पर अंकुश लगाया जा सके तो संतोष की सिद्धि की दिशा में यह एक सकारात्मक कदम माना जाएगा।

Answered by MrBhukkad
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मनुष्य जीवन में संतोष का बड़ा महत्व होता है। संतोष मनुष्य को ईश्वर के निकट पहुंचाकर मोक्ष का मार्ग प्रस्तत कर देता है। लेकिन यह बाजार में नहीं बिकता है बल्कि यह आत्मा से मिलता है। संतोष और आत्मसंतोष दोनों अलग होते हैं और दोनों में जमी आसमा का अंतर होता है।आत्मसंतोष ही आत्मतुष्ष्टि होता है और संतोष सहनशीलता इंसानियत ईश्वरवादी होने का परिचायक होता है। मनुष्य को जीवन में जल्दी संतोष नहीं मिलता है और उसकी मृगतृष्णा का कभी अंत नही होता है।जिस मनुष्य की मृगतृष्णा तृप्त नही होती है उसका अंत हो जाता है।

संतोष वह अमूल्य निधि है जिसके आगे संसार की सारी निधियां बेकार हो जाती हैं। संतोष आने के बाद सारे धन दौलत मिट्टी के समान हो जाते हैं।कहा भी गया है कि -" गोधन गजधन बाजधन और रत्न धन खान, जब आवै संतोष धन, तब सब धन धूरि समान"। आजकल मनुष्य के पास सब कुछ हैं फिर भी उसे संतोष नही मिल रहा है।मनुष्य निन्नाबें को सौ करने में लगा है और वह पूरे नहीं हो पा रहे हैं।फलस्वरूप उसे संतोष नही मिल पा रहा है।लोग फुटपाथ से महलों में पहुंच गये हैं और टके टके के मोहताज करोड़पति अरबपति दुनिया के अमीरों की लाइन में नम्बर वन हो गये हैं फिर भी अभी उन्हें संतोष नही मिल पा रहा है।संतोष पाने के लिए लोगों को रात में नींद की गोलियां खानी पड़ रही हैं।

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