paragraph on anusashan ka mehetva
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अनुशासन का अर्थ होता है नियमों का सही पालन करना हर इंसान के जीवन में अनुशासन का विशेष महत्व है। जो इंसान अनुशासन में नहीं रह सकता वह जीवन का निर्माण कभी नहीं कर सकता । अनुशासन एक ऐसा गुण है जिसकी मनुष्य को जीवन के हर क्षेत्र में जरूरत पडती है घर -परिवार में अनुशासन का विशेष महत्व है बड़ों का आदर करना छोटों से प्यार करना परिवार के अनुशासन के अभिन्न अंग हैं।
इसी प्रकार खेल के मैदान में भी अनुशासन (Anushasan) का विशेष महत्व है खिलाडियों का प्रथम करत्व है के वो अनुशासित होकर खेल खेलें। खेल को खेल की भावना से ही खेलना चाहिए ना के किसी को हानि पहुंचाने के मकसद से।
अनुशासन (Anushasan) की सच्ची शिक्षा हम कुदरत से ले सकते हैं सूर्य और चन्द्रमा समय पर निकलते हैं और समय पर ही डूबते हैं समय पर ही ऋतुएं आती हैं। इसके इलावा पशु -पक्षियों के जीवन में भी अनुशासन देखा जा सकता है पंक्तियों में उड़ते हुए पक्षी और कतार में चलती चींटियां हर एक को अनुशासन में रहने का संदेश देती हैं।
विद्दार्थी जीवन में तो अनुशासन का विशेष महत्व समझा जाता है इसके बिना तो विद्दार्थी जीवन की कल्पना तक नहीं की जा सकती है। यदि विद्दार्थी अनुशासित नहीं होगा तो उसके जीवन का विकास अच्छे तरीके से नहीं हो सकता है जैसे समय का सही उपयोग करना , गुरुओं की आज्ञा का पालन करना और ध्यानपूर्वक पढ़ना आदि हैं। आज का विद्दार्थी अनुशासनहीनता का शिकार हो रहा वह सुख आराम का इच्छुक होता जा रहा है इसीलिए विद्दार्थी में अनुशासनहीनता खत्म करने के लिए शिक्षा में सुधार लाना चाहिए बल्कि शिक्षा की ऐसी व्यवस्था होनी चाहिए के बच्चा शिक्षा को अपने शरीर का अंग समझे ना के बोझ।
अनुशासन (Anushasan) दो तरह का होता है पहला बाहरी अनुशासन जो व्यक्ति के उपर जबरदस्ती थोपा जाता है यह भय ,शक्ति और सजा पर आधारित होता है और दूसरा आंतरिक अनुशासन वो होता है जो व्यक्ति के अंदर से जागृत होता है बल्कि उस पर थोपा नहीं जाता इसमें नियमों का पालन करना बोझ नहीं समझा जाता।
इसीलिए समाज के कल्याण के लिए जिंदगी में अनुशासन का विशेष महत्व है अनुशासन से ही मनुष्य का पूर्ण विकास संभव है। इसीलिए इससे भागने की वजाय इसका पालन करना सीखें।
इसी प्रकार खेल के मैदान में भी अनुशासन (Anushasan) का विशेष महत्व है खिलाडियों का प्रथम करत्व है के वो अनुशासित होकर खेल खेलें। खेल को खेल की भावना से ही खेलना चाहिए ना के किसी को हानि पहुंचाने के मकसद से।
अनुशासन (Anushasan) की सच्ची शिक्षा हम कुदरत से ले सकते हैं सूर्य और चन्द्रमा समय पर निकलते हैं और समय पर ही डूबते हैं समय पर ही ऋतुएं आती हैं। इसके इलावा पशु -पक्षियों के जीवन में भी अनुशासन देखा जा सकता है पंक्तियों में उड़ते हुए पक्षी और कतार में चलती चींटियां हर एक को अनुशासन में रहने का संदेश देती हैं।
विद्दार्थी जीवन में तो अनुशासन का विशेष महत्व समझा जाता है इसके बिना तो विद्दार्थी जीवन की कल्पना तक नहीं की जा सकती है। यदि विद्दार्थी अनुशासित नहीं होगा तो उसके जीवन का विकास अच्छे तरीके से नहीं हो सकता है जैसे समय का सही उपयोग करना , गुरुओं की आज्ञा का पालन करना और ध्यानपूर्वक पढ़ना आदि हैं। आज का विद्दार्थी अनुशासनहीनता का शिकार हो रहा वह सुख आराम का इच्छुक होता जा रहा है इसीलिए विद्दार्थी में अनुशासनहीनता खत्म करने के लिए शिक्षा में सुधार लाना चाहिए बल्कि शिक्षा की ऐसी व्यवस्था होनी चाहिए के बच्चा शिक्षा को अपने शरीर का अंग समझे ना के बोझ।
अनुशासन (Anushasan) दो तरह का होता है पहला बाहरी अनुशासन जो व्यक्ति के उपर जबरदस्ती थोपा जाता है यह भय ,शक्ति और सजा पर आधारित होता है और दूसरा आंतरिक अनुशासन वो होता है जो व्यक्ति के अंदर से जागृत होता है बल्कि उस पर थोपा नहीं जाता इसमें नियमों का पालन करना बोझ नहीं समझा जाता।
इसीलिए समाज के कल्याण के लिए जिंदगी में अनुशासन का विशेष महत्व है अनुशासन से ही मनुष्य का पूर्ण विकास संभव है। इसीलिए इससे भागने की वजाय इसका पालन करना सीखें।
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