Biology, asked by rajgotrat, 1 day ago

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Answered by XxAuthenticxX
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परिश्रम: सफलता की कुंजी पर अनुच्छेद

कभी मानव जंगलों में जानवरों के समान विचरण किया करता था । आज वह गगनचुंबी इमारतों में सुविधा-सपंन्न जीवन व्यतीत कर रहा है । आदिकाल से मानव-समाज निरन्तर उन्नति की ओर बढ़ रहा है । आज मानव पृथ्वी से अंतरिक्ष की यात्रा कर रहा है ।

इस उन्नति की मानव ने कभी कल्पना भी नहीं की होगी । लेकिन मानव को यह सफलता अकस्मात् नहीं मिली है । यह उसके निरन्तर परिश्रम का परिणाम है, जो आज मानव-समाज सभ्य है, शिक्षित है, नयी-नयी सफलताएं प्राप्त कर रहा है । वास्तव में बिना परिश्रम के मनुष्य जीवन के किसी भी मंच पर सफल नहीं हो सकता ।

परिश्रम को इसीलिए सफलता की कुंजी अर्थात सफलता का द्वार खोलने वाली चाबी माना जाता है । एक किसान खेतों में हल चलाता है बीज बोता है, अपनी फसल की सिंचाई करता है । दिन-रात के कड़े परिश्रम के उपरान्त उसे फसल प्राप्त होती है । मनुष्य को जीवन के किसी में सफलता प्राप्त करने के लिए निरन्तर परिश्रम करना है ।

आज मानव-समाज की उन्नति उसके निरन्तर के कारण ही सम्भव हो सकी है । आज हम जो ऊंची इमारतें, बड़े-बड़े कारखाने-यातायात के आधुनिक संचार की नयी-नयी सुविधाएँ देख रहे हैं, इनके पीछे का अनवरत परिश्रम लगा हुआ है ।

वास्तव में परिश्रम के बिना मनुष्य के लिए बड़ी सफलता हरना तो दूर, अपने परिवार का पालन-पोषण करना भी नहीं है । एक आलसी व्यक्ति, जिसे हाथ-पैर हिलाने में शर्म महसूस होती है, अपने सगे-सम्बंधियों के लिए भी बोझ बन हे । अपने पेट की भूख शान्त करने के लिए मनुष्य को भी परिश्रम करना पड़ता है ।

महत्त्वाकांक्षी व्यक्तियों को तो अपनी आकांक्षा पूर्ण करने के लिए निरन्तर संघर्ष करना हे । इस पृथ्वी पर मनुष्य ने जो नये-नये कारनामे करके हैं, वह उसके निरन्तर परिश्रम से ही सम्भव हो सके हैं । परिश्रम को सफलता की कुंजी कहा जाता है ।

परीश्रमी व्यक्तियों को प्रत्येक कार्य में सफलता मिलती हो, आवश्यक नहीं है । परन्तु परिश्रमी व्यक्ति असफलताओं से घबराते नहीं हैं । अज्ञानतावश अथवा अनुभवहीनता के कारण परिश्रम का सुखद परिणाम नहीं मिलता ।

परन्तु जिन के लिए सफलता ही उनके जीवन का लक्ष्य होता है, वे असफल होने पर अपनी गलतियों का आकलन करके उनमें करते हैं और पुन: उत्साहित होकर प्रयत्नशील हो जाते हैं । वांस्तव में जीवन के किसी भी क्षेत्र में मनुष्य को तत्काल सफलता प्राप्त नहीं होती ।

मनुष्य निरन्तर अभ्यास से योग्यता प्राप्त करता है । योग्य व्यक्ति सही दिशा में प्रयत्न करता है इसलिए अपने कार्य को पूर्ण करने में उसे अधिक कठिनाई नहीं होती । कई बार योग्य व्यक्ति भी जाने-अनजाने में भूल कर बैठता है और सफलता उससे दूर हो जाती है ।

वास्तव में मनुष्य के सफल होने के अन्य भी कई कारण होते हैं । अनुकूल परिस्थितियों में सफलता सरल होती है, जबकि प्रतिकूल परिस्थितियाँ बना बनाया काम बिगाड़ देती हैं । आंधी-तूफान और तेज वर्षा से तैयार खड़ी फसल नष्ट हो जाती है और किसान का परिश्रम व्यर्थ चला जाता है । परन्तु सफलता के लिए मनुष्य को पुन: परिश्रम करने की आवश्यकता पड़ती है ।

आलसी एवं कामचोर व्यक्तियों को इस जीवन में कभी सफलता प्राप्त नहीं होती । मानव-समाज ने जो भी उन्नति की है वह मनुष्य के निरन्तर परिश्रम से ही सम्भव हो सकी है । मनुष्य के परिश्रम ने पर्वतों को काटकर सड़के बनाई हैं विशाल नदियों पर ऊँचे पुलों का निर्माण किया है, समुद्र की गहराई में जाकर मूल्यवान मोतियों को खोजकर निकाला है ।

मनुष्य के निरन्तर परिश्रम ने ही अनुसंधान के द्वारा वैज्ञानिक उन्नति की है । सत्य यही है कि बिना परिश्रम के मनुष्य सफलता प्राप्त नहीं कर सकता । जो व्यक्ति शीघ्र ही हार मानकर बैठ जाते हैं उन्हें कदापि सफलता का सुखद अनुभव प्राप्त नहीं होता । सफलता के लिए मनुष्य को अथक परिश्रम करना ही पड़ता है!

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Answered by ishwarmhawer018
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Answer:

सबसे पहले आपको बता दे की धरती ऊष्मा की कुचालक होती है इसका मतलब है कि धरती के अंदर जितना भी पानी है उस पर हमारे बाहरी वातावरण का कोई असर नही होता है, इसका मतलब ये है कि धरती के अंदर के पानी का तापमान एक जैसा रहता है फिर चाहे सर्दी हो या फिर गर्मी हो।

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meri photo kaisi lagi

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