Hindi, asked by harshkr8309, 9 months ago

Paragraph on apni teacher se jhooth bola pehli bar

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Answered by kumariprneem
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Explanation:

क्यों हमें झूठ नहीं बोलना चाहिए

मान लो एक लड़की अपनी मम्मी से कहती है: “हाँ मम्मी, मैं स्कूल के बाद सीधे घर आऊँगी।” लेकिन छुट्टी के बाद वह अपनी सहेलियों के साथ खेलने लगती है और घर पहुँचने पर मम्मी से कहती है: “छुट्टी के बाद टीचर ने मुझे रोक लिया था।” क्या ऐसा बहाना बनाना सही होगा?—

एक लड़के ने घर के अंदर गेंद मारकर लैंप को गिरा दिया, अब वह अपने पापा से बात कर रहा है

इस लड़के ने क्या गलत किया है?

या मान लो कि एक लड़का अपने पापा से कहता है: “नहीं, मैंने घर में गेंद नहीं मारी।” लेकिन अगर उसने सचमुच ऐसा किया हो, तब क्या? क्या उसका यह कहना सही होगा कि उसने गेंद नहीं मारी?—

महान शिक्षक ने बताया कि हमें क्या करना चाहिए। उसने कहा: ‘तुम्हारी “हाँ” का मतलब हाँ हो, और “ना” का मतलब ना। इसलिए कि इससे बढ़कर जो कुछ कहा जाता है वह शैतान से होता है।’ (मत्ती 5:37) यीशु के कहने का क्या मतलब था?— उसके कहने का मतलब था कि हमें वही करना चाहिए जो हम कहते हैं।

बाइबल में एक कहानी दी गयी है जिसमें बताया गया है कि सच बोलना ज़रूरी है। यह कहानी उन दो लोगों की है जो कहते थे कि वे यीशु के चेले हैं। चलो देखते हैं क्या हुआ।

यीशु की मौत के करीब दो महीने बाद बहुत-से लोग दूर-दूर से यहूदियों का एक खास त्योहार मनाने यरूशलेम आए। उस त्योहार को पिन्तेकुस्त का त्योहार कहा जाता था। उस दिन प्रेषित पतरस ने एक दमदार भाषण दिया। उसने लोगों को बताया कि यीशु को यहोवा ने मरे हुओं में से ज़िंदा किया है। वहाँ आए कई लोग पहली बार यीशु के बारे में सुन रहे थे। भाषण सुनने के बाद वे यीशु के बारे में और ज़्यादा जानना चाहते थे। इसलिए पता है उन्होंने क्या किया?

वे जितने दिन के लिए आए थे, उससे ज़्यादा दिन रुक गए। लेकिन कुछ दिनों के बाद उनमें से कुछ लोगों के सारे पैसे खत्म हो गए। अब उनके पास खाना खरीदने के लिए भी पैसे नहीं बचे। यरूशलेम में यीशु के जो चेले थे, वे बाहर से आए इन लोगों की मदद करना चाहते थे। इसलिए बहुत-से चेलों ने अपनी चीज़ें बेच दीं और वह पैसा लाकर यीशु के प्रेषितों को दे दिया। फिर प्रेषितों ने वह पैसा उन लोगों में बाँट दिया जिन्हें ज़रूरत थी।

हनन्याह और उसकी पत्नी सफीरा यरूशलेम की मंडली के सदस्य थे। उन्होंने अपना एक खेत बेच दिया। खेत बेचने के लिए उनसे किसी ने नहीं कहा था। उन्होंने अपनी मरज़ी से ऐसा किया था। लेकिन उन्होंने ऐसा इसलिए नहीं किया कि वे यीशु के नए चेलों से प्यार करते थे। असल में हनन्याह और सफीरा के दिल में चोर था, वे लोगों के सामने कुछ ज़्यादा ही अच्छा बनना चाहते थे। इसलिए उन्होंने सोचा कि हम कहेंगे, हम खेत की सारी रकम लोगों की मदद के लिए दान में दे रहे हैं। लेकिन सच तो यह था कि सारा पैसा देने के बजाय वे उसका सिर्फ एक छोटा-सा हिस्सा देना चाहते थे। आपको क्या लगता है, क्या उन्होंने सही किया?—

खेत बेचने के बाद हनन्याह प्रेषितों के पास आया और उन्हें पैसा दिया। लेकिन परमेश्वर से यह बात छिपी नहीं थी कि खेत बेचने पर उसे जो पैसा मिला है, वह उसका थोड़ा-सा हिस्सा ही दे रहा है। इसलिए परमेश्वर ने प्रेषित पतरस के सामने हनन्याह के झूठ का खुलासा कर दिया

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