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अर्जुन:
अर्जुन का वर्णन , महाभारत मे मिलता है। अर्जुन , राजा फंडू और कुंती के तीसरे पुत्र थे । युधिस्टीर, भीम , नकुल , सहदेव ये सभी अर्जुन के भाई थे। अर्जुन को पार्थ , सव्यसाची , धनंजय आदि नामो से भी जाना जाता है । अर्जुन की शिक्षा गुरु द्रोणाचार्य के सानिध्य मे हुई थी। अर्जुन एक महान योद्धा और धनुर्धारी थे। एक बार स्वयंवर मे , अर्जुन की धनुष निपुणता से प्रभावित होकर ,राजा द्रुपद ने उनकी शादी अपनी पुत्री द्रौपदी से कर दी थी।
भगवान श्रीक़ृष्ण ने अर्जुन को महाभारत मे युद्ध के मैदान मे उपदेश दिये , यही गीता के उपदेश हैं।
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Answer:यह लेख महाभारत के पात्र के बारे में है। अन्य प्रयोगों के लिए, अर्जुन (बहुविकल्पी) देखें।
इण्डोनेशिया के बाली द्वीप के उबुद में अर्जुन की प्रतिमा
महाभारत के मुख्य पात्र हैं। महाराज पाण्डु एवं रानी कुन्ती के वह तीसरे पुत्र थे। द्रौपदी, कृष्ण और बलराम की बहन सुभद्रा, नाग कन्या उलूपी और मणिपुर नरेश की पुत्री चित्रांगदा इनकी पत्नियाँ थीं। इनके भाई क्रमशः युधिष्ठिर, भीम, नकुल, सहदेव।
अर्जुन सबसे अच्छे धनुर्धर और द्रोणाचार्य के प्रमुख शिष्य थे। जीवन में अनेक अवसर पर उन्होने इसका परिचय दिया। इन्होने द्रौपदी को स्वयंवर में जीता था। कुरूक्षेत्र युद्ध में ये प्रमुख योद्धा थे। अर्जुन ने ही कुरुक्षेत्र में श्रीकृष्ण से अलौकिक प्रश्न किये जो गीता में वर्णित हैं।
महाराज पाण्डु की दो पत्नियाँ थी कुन्ती तथा माद्री।मुनि दुर्वासा के वरदान द्वारा धर्मराज, वायुदेव तथा इंद्र का आवाहन कर तीन पुत्र माँगे। इंद्र द्वारा अर्जुन का जन्म हुआ।[1]
द्रोणाचार्य को एेसे योद्धाओं की आवश्यकता थी जो राजा द्रुपद से प्रतिशोध ले सके। इसी कारण वे हस्तिनापुर के 105 राजकुमारों को शिक्षा देने लगे जिसमें से एक अर्जुन भी था। [2]
विवाह
मुख्य लेख: महाभारत भाग १०
द्रौपदी
महर्षि वेदव्यास के कहने पर पाण्डव माता कुन्ती के साथ पांचाल चले गए जहाँ राजा द्रुपद की कन्या द्रौपदी का स्वयंवर रखा गया था। अर्जुन वहाँ ब्राह्मण के भेस में गया और देखा कि महा सभा लगी है, पूरे भारत से राजकुमार आए हैं परन्तु कोई भी लक्ष्य भेद नहीं पा रहा था तब अर्जुन ने लक्ष्य भेदन कर द्रौपदी को जीता था। द्रौपदी से इनका पुत्र श्रुतकर्मा हुअा जिसे अश्वत्थामा ने मारा।
लक्ष्यभेदन करते हुए अर्जुन
सुभद्रा
सुभद्रा भगवान कृष्ण तथा बलराम की बहन थी जिसे कृष्ण के कहने पर अर्जुन द्वारिका से भागा ले गए थे। सुभद्रा से इनका अभिमन्यु नामक पुत्र हुआ जो कुरुक्षेत्र युद्ध में मारा गया।[3]
अर्जुन और सुभद्रा, राजा रवि वर्मा की कृति
इसके दोनो पुत्र वीरगति को प्राप्त हुए। अभिमन्यु के पुत्र परीक्षित ने इनका वंश आगे बढ़ाया।
बृहन्नला
अर्जुन को उर्वशी का श्राप।
संस्कृत में 'ल' और 'र' को समान माना गया है इस अनुसार बृहन्नल को बृहन्नर भी कह सकते हैं जिसका संधि विच्छेद बृहद् + नर होगा। अज्ञातवास में वो वेश बदल कर विराट नगर में वास करते थे जहाँ उर्वशी के श्राप के कारण अर्जुन को बृहन्नला बनकर विराट नगर की राजकुमारी उत्तरा को नृत्य सिखाना पड़ा।[4]
Explanation: