Hindi, asked by nikhil7977, 11 months ago

paragraph on character in hindi language​

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Answered by panesarh989
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Answer:

सदाचार-सच्चरित्रता पर अनुच्छेद । Paragraph on Good Character in Hindi Language!

सच्चरित्रता व्यक्ति का वह व्यवहार होता है जो किसी को हानि नहीं पहुंचाता बल्कि जो सभी के लिए हर प्रकार से शुभ एवं हितकारी होता है तथा जिसके लिए कुछ भी छिपाने व मिथ्या भाषण की आवश्यकता नहीं पड़ती ।

सच्चरित्र व्यक्ति अपने अच्छे व्यवहार से जीवन तथा समाज में सभी को शीघ्र एवं सहज ही प्रभावित कर लिया करता है । इस कारण सभी लोग उसका सम्मान भी करते हैं तथा उसकी हर बात का विश्वास भी करते हैं ।

कोई भी समाज व्यक्तियों के समूह से बना करता है । जिस समाज के सभी व्यक्ति चारित्रिक और नैतिक दृष्टि से अच्छे होते हैं वह समाज संसार में दूसरे के सम्मुख आदर्श स्थापित कर सकता है । सच्चरित्रता मानव के व्यक्तित्व का दर्पण है ।

हृदय की विशालता, त्याग, सेवाभाव, क्षमाशीलता, विनय, ईमानदारी, सत्य भाषण, धैर्य, कर्त्तव्यपरायणता, कष्ट, सहिष्णुता, प्रतिज्ञा-पालन, आत्मसंयम तथा उदारता आदि गुणों का सामाजिक रूप ही चरित्र है । ऐसा गुणवान अथवा सच्चरित्र व्यक्ति ही विश्व को समृद्धि की राह दिखाता है । सच्चरित्रता के निर्माण का एकमात्र साधन सत्संगति है । चरित्र-निर्माण के लिए सबसे उपयुक्त समय शैशवकाल व शिक्षण काल होता है ।

अत: माता-पिता को अपने बच्चों का इस समय विशेष ध्यान रखना चाहिए । उन्हें सत्साहित्य पढ़ने के लिए देने चाहिए । मनोरंजन के लिए शिक्षाप्रद चलचित्र दिखलाने चाहिए, कुसंगति से दूर रखना चाहिए, महापुरुषों के प्रवचन सुनाने चाहिए तभी हम किसी व्यक्ति अथवा बालक को सच्चरित्र बना सकते हैं ।

चरित्र बल जीवन की सबसे बड़ी शक्ति है । जिस व्यक्ति का चरित्र नष्ट हो जाता है उसके पास कुछ नहीं बचता । तभी विद्वानों ने ठीक ही कहा है: ‘धन गया कुछ नहीं गया, स्वास्थ्य गया कुछ गया परन्तु चरित्र गया तो सब कुछ गया’ ।

Answered by ferozpurwale
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सदाचार-सच्चरित्रता पर अनुच्छेद । Paragraph on Good Character in Hindi Language!

सच्चरित्रता व्यक्ति का वह व्यवहार होता है जो किसी को हानि नहीं पहुंचाता बल्कि जो सभी के लिए हर प्रकार से शुभ एवं हितकारी होता है तथा जिसके लिए कुछ भी छिपाने व मिथ्या भाषण की आवश्यकता नहीं पड़ती ।

सच्चरित्र व्यक्ति अपने अच्छे व्यवहार से जीवन तथा समाज में सभी को शीघ्र एवं सहज ही प्रभावित कर लिया करता है । इस कारण सभी लोग उसका सम्मान भी करते हैं तथा उसकी हर बात का विश्वास भी करते हैं ।

कोई भी समाज व्यक्तियों के समूह से बना करता है । जिस समाज के सभी व्यक्ति चारित्रिक और नैतिक दृष्टि से अच्छे होते हैं वह समाज संसार में दूसरे के सम्मुख आदर्श स्थापित कर सकता है । सच्चरित्रता मानव के व्यक्तित्व का दर्पण है ।

हृदय की विशालता, त्याग, सेवाभाव, क्षमाशीलता, विनय, ईमानदारी, सत्य भाषण, धैर्य, कर्त्तव्यपरायणता, कष्ट, सहिष्णुता, प्रतिज्ञा-पालन, आत्मसंयम तथा उदारता आदि गुणों का सामाजिक रूप ही चरित्र है । ऐसा गुणवान अथवा सच्चरित्र व्यक्ति ही विश्व को समृद्धि की राह दिखाता है । सच्चरित्रता के निर्माण का एकमात्र साधन सत्संगति है । चरित्र-निर्माण के लिए सबसे उपयुक्त समय शैशवकाल व शिक्षण काल होता है ।

अत: माता-पिता को अपने बच्चों का इस समय विशेष ध्यान रखना चाहिए । उन्हें सत्साहित्य पढ़ने के लिए देने चाहिए । मनोरंजन के लिए शिक्षाप्रद चलचित्र दिखलाने चाहिए, कुसंगति से दूर रखना चाहिए, महापुरुषों के प्रवचन सुनाने चाहिए तभी हम किसी व्यक्ति अथवा बालक को सच्चरित्र बना सकते हैं ।

चरित्र बल जीवन की सबसे बड़ी शक्ति है । जिस व्यक्ति का चरित्र नष्ट हो जाता है उसके पास कुछ नहीं बचता । तभी विद्वानों ने ठीक ही कहा है: ‘धन गया कुछ नहीं गया, स्वास्थ्य गया कुछ गया परन्तु चरित्र गया तो सब कुछ गया’ ।

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