Hindi, asked by Aasthashrivastav, 1 year ago

Paragraph on hamara sanaik in hindi

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Answered by Aishwarya0739
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प्रस्तावना- सेना किसी भी देश की सबसे बड़ी शक्ति है। देश की रक्षा का दायित्व सेना का होता है। यदि सेना में आत्म विश्वास है तो वह किसी भी संकट का मुकाबला कर सकती है। शक्तिशाली सेना के अभाव में किसी भी देश का भविष्य खतरे में पड जाता है। अतः सेना का बहुत महत्व है। यदि किसी देश के पास अनेक प्रकार की युद्ध की सामग्री हो, पर सेना न हो तो वह सारी युद्ध सामग्री निरर्थक सिद्ध होती है। अतएव एक सैनिक देश की आन और शान हुआ करता है।
सैनिक बनने की उत्कट इच्छा- मेरा जन्म ही एक सैनिक परिवार में हुआ है। मेरे पिता जी सेना में मेजर हैं। अतएव मैं उनको बचपन मे जब सेना की वर्दी पहने देखता तो मेरे मन में भी सैनिक बनने की इच्छा पैदा होती थी। मेरी माताजी मुझे पिताजी की वीरता की अनेक कहानियाँ सुनाया करती थीं। उससे भी मेरे सैनिक बनने की इच्छा का बल मिला। कुछ और बड़ा होने पर मैंने निश्चय कर लिया कि मैं भी पिताजी की भाँति सेना में भर्ती होकर देश की सेवा करूँगा।

सेना में भर्ती- अतएव बारहवीं की परीक्षा पास करने के बाद मैं सेना में भर्ती होने का प्रयत्न करने लगा। एकदिन मेरा चुनाव हो गया और मैं सेना में भर्ती हो गया। भर्ती होकर मैंने लड़ाकू सेना के विभाग इन्फैंटरी में जाने का निश्चय किया। मुझे सेना में अपना कार्य ढंग से करने के लिए प्रशिक्षण दिया गया। मैंने प्रशिक्षण के दौरान खूब परिश्रम यिा। मुझे जो भी सिखाया जाता उसे मन लगाकर सीखता और उसका अभ्यास करता था। समय समय पर मेरी जितनी भी परीक्षाएँ हुईं, उनमें मैं कभी प्रथम तो नहीं द्वितीय स्थान प्राप्त करता था। इससे मुझे बहुत प्रसन्नता होती थी और मेरा आत्म विश्वास बढ़ जाता था।

सैनिक जीवन में रूचि- सैनिक जीवन में मेरी बचपन से ही रूचि रही है। इसलिए मैंने रूचिपूर्वक कार्य किया। मुझे जो भी कार्य सौंपा गया उसे मैंने बहुत परिश्रम और दक्षता से किया। इससे मैं निरन्तर प्रगति करता गया। मैं साधारण सैनिक के रूप में भर्ती हुआ था। पर अपने परिश्रम लगन और दक्षता के कारण पहले सूबेदार और फिर कैप्टन बन गया।चीनी आक्रमण- चीन ने भारत पर सन 1962 में अचानक ही आक्रमण कर दिया। इस समय मैं भारत चीन की सीमा पर था। मेरे साथ सेना की एक छोटी सी टुकड़ी भी थी। चीन ने जब अचानक हम पर धावा बोला तो मैंने अपनी छोटी सी सैनिक टुकड़ी के साथ चीनी सैनिकों का वीरतापूर्वक मुकाबला किया। चीनी सैनिकों के पास अस्त्र शस्त्र खूब थे और वे आक्रमण के लिए तैयार होकर आए थे। इसलिए उनके अचानक आक्रमण से पहले तो हम घबरा गए, पर हमने हिम्मत नहीं हारी। शत्रु का डटकर मुकाबला किया और उसके अनेक सैनिकों को मार गिराया। शत्रु सैनिक घबरा गए पीछे हट गए। हमने उनका पीछा किया और उन्हें भारतीय प्रदेश से खदेड़ दिया।

विशिष्ट सेवा पदक- इस युद्ध में शत्रु सैनिकों का वीरतापूर्वक मुकाबला करने के लिए मुझे विशिष्ट सेवा पदक दिया गया। इससे मेरा मनोबल और भी बढ़ गया और मैंने सिद्ध कर दिया कि वीरतापूर्वक काम करने वाले सैनिकों को राष्ट्र सम्मान करता है। आज भी मैं जब भारत पर चीनी आक्रमण की घटनाओं को याद करता हूँ तो मेरे रोंगटे खड़े हो जाते हैं।

उपसंहार- मेरे सैनिक जीवन की एक लम्बी गाथा है। उसका विस्तार से वर्णन करने के लिए काफी समय चाहिए। कभी समय मिला तो मैं अपनी जीवनी करे पुस्तक के रूप में छपवाऊँगा। अभी तो मैं केवल इतना ही कहना चाहता हूँ कि मैंने एक राष्ट्र भक्त सैनिक के रूप में अपना सारा जीवन व्यतीत किया है। मुझे इस बात का गर्व है कि मेरा परिश्रम और राष्ट्र सेवा व्यर्थ नहीं गई। उसे मेरे राष्ट्र ने भी सराहा है। इसके लिए अपने देश का ऋण शायद ही चुका पाऊँ।
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