Paragraph on maxdoor which are stuck in corona lockdown
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What's maxdoor?
Please ask properly
लॉकडाउन में फँसे हुये मजदूरों पर एक पैराग्राफ
कोरोनावायरस चीन से बाहर निकलकर जैसे ही संसार के अन्य देशों में फैलने लगा, सभी देशों ने इस बीमारी के संक्रमण से निपटने के लिए लॉकडाउन लगाना आरंभ कर दिया। भारत ने भी 25 मार्च से पूरे देश में लॉकडाउन लगा दिया था। मात्र 4 घंटा पहले लॉकडाउन लगाने की जानकारी देने के कारण जो व्यक्ति जहां पर था वहीं पर फंसा रह गया। यही हालत मजदूरों की हुई। अप्रवासी मजदूर जो अपने राज्य छोड़कर दूसरे राज्यों में काम की तलाश में गए और काम कर रहे थे, वह वहीं पर फंसे रह गए। उन्हें अपने मूल राज्य में जाने का मौका नहीं मिल पाया।
ह मजदूर फैक्ट्रियों में विभिन्न तरह की फैक्ट्रियों में या अन्य उद्योग-धंधों में काम करते थे और वही आसपास रहते थे, लेकिन यह सब उद्योग धंधे फैक्ट्रियां आदि बंद हो जाने के कारण उन्हें आर्थिक मदद मिलना भी बंद हो गया। कुछ दिनों तक तो इन लोगों ने किसी तरह अपना गुजारा किया, लेकिन लॉकडाउन बढ़ता रहा और इन मजदूरों की हालत बदतर हो गई। ऐसे में उन्हें अपने घर की याद सताने लगी क्योंकि अपने घर से दूर दूसरे राज्य में उनकी सुध लेने वाला कोई नहीं था। उनके भूखे मरने की नौबत आ गई थी।
ये मजदूर सोचते थे. अपने घर जाकर कम से कम चैन से रह तो सकते थे। लॉक डाउन होने के कारण आवागमन के सारे साधन बंद थे ऐसे में मजदूरों ने पैदल ही अपने अपने घरों को जाने का निर्णय लिया और वह सड़क मार्ग द्वारा पैदल ही निकल पड़े। सैकड़ों हजारों किलोमीटर दूर पैदल चलकर अपने घर जाना कोई आसान कार्य नहीं था, लेकिन मजबूरी के मारे मजदूरों को वह भी करना पड़ा क्योंकि उनके पास ना तो बहुत सारे पैसे थे और ना ही उनके लिए आवागमन का कोई साधन उपलब्ध था।
कोरोनावायरस की महामारी और लॉकडाउन के कारण मजदूरों की हुई इस दुर्दशा ने कई सारे सवाल खड़े किए। सरकार ने कोई योजनाबद्ध तरीके से लॉकडाउन नहीं लगाया और अचानक लव डॉन की घोषणा करके सभी मजदूरों को संकट में डाल दिया। सरकार ने इन अप्रावासी मजदूरों की हालत को ध्यान में रखकर लॉकडाउन लगाने से पहले ही कुछ सार्थक इंतजाम किये होते तो इन मजदूरों की इतनी दुर्दशा नही होती। सरकारो न तो पहले और ना ही बाद में कोई ठोस उपाय किये जिससे इन मजदूरों अनेक कठिनाइयों का सामना करना पड़ा। कइयों को अपनी जान तक गंवानी पड़ी।, सरकार को चाहिये कि वो इन घटनआओं से सबक ले ऐसी किसी आपदा और संकट की घड़ी में निपटने के लिये ठोस रणनीति तैयार करे ताकि हमारो मजूदूर भाइयों को परेशानी का सामना नही करना पड़े।