Paragraph on my favourite celebrity in hindi
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यूँ तो हिन्दी फिल्म उद्योग में कई अभिनेता हैं । प्रत्येक अभिनेता में कोई न कोई विशेषता है, जिसके कारण वह लोकप्रिय है । भारत का फिल्म उद्योग विश्व के फिल्म उद्योगों में सबसे बड़ा है । इस कारण यहाँ विभिन्न प्रकार के अभिनय करने वाले अभिनेताओं की संख्या भी बहुत ज्यादा है । प्रत्येक व्यक्ति को उसकी रुचि और स्वभाव के अनुसार कोई न कोई अभिनेता पसंद होता है ।
मुझे सबसे ज्यादा फिल्म नगरी बाँलीवुड तथा भारतीय सिनेमा के एकछत्र सम्राट अमिताभ बच्चन ही पसंद है । वह मेरा प्रिय अभिनेता है । वह हर भूमिका को सहज भाव से आत्म – सात करके निभाने वाला हीरो है । चाहे वह कॉमेडी हो या फिर ट्रेजडी, चाहे वह एक्शन फिल्म हो या भावुकता से भरी कहानी हो । सिनेमा में निस्संदेह, वह बतौर कलाकार ऊँचे कद और सौम्य व्यक्तित्व के साथ प्रेरणादायी बनकर हम सबके समक्ष है ।
60 वर्ष की आयु पूरी करने के बाद भी उसकी आँखों की चमक और आवाज का दमखम आज भी बरकरार है । 90 के दशक में कई नये नवेले अभिनेता उभरे है किन्तु उसको पराजित करने वाला कोई नहीं है ।
केवल मैं ही नहीं, मेरा पूरा परिवार भी अमिताभ का प्रशंसक है । अमिताभ बच्चन ऊँचा और लम्बा एक सुन्दर युवक है । उसकी मोटी आँखें और तीखे नक्शे हैं । उसके व्यक्तित्व का सबसे बड़ा और महत्त्वपूर्ण गुण यह है कि उसकी आवाज प्रभावशाली मधुर और ओजपूर्ण है । इन्हीं कारणों से वह अभिनय से कुछ वर्षों के बाद ही दर्शकों का हृदय सम्राट बन गया था ।
अमिताभ बच्चन का सम्बन्ध एक अच्छे परिवार से है । वह ‘ मधुशाला ‘ और ‘ मधुबाला ‘ जैसी पुस्तकों के प्रसिद्ध तथा प्रतिभाशाली लेखक श्री हरिवंशराय बच्चन का सुपुत्र है । अमिताभ की शिक्षा भी अच्छी हुई है और वह साहित्यिक वातावरण में बड़ा हुआ है । शैक्षणिक योग्यता प्राप्त करने के बाद अमिताभ ने पूना फिल्म संस्थान से अभिनय में प्रशिक्षण प्राप्त किया ।
शुरू में अमिताभ ख्वाजा अहमद अब्बास की फिल्म ‘ सात हिन्दुस्तानी ‘ जैसी फिल्मों में आया । इन फिल्मों से अमिताभ की अपनी पहचान नहीं बनी । अमिताभ की पहली महत्त्वपूर्ण फिल्म ‘ आनन्द ‘ थी । इस फिल्म में वह कैंसर जैसे जानलेवा रोग से मरने वाले नायक के प्रति अपनी सहानुभूति तथा स्नेह के कारण जाना गया । उसने दर्शकों के हृदयों पर एक छाप छोड़ी । दर्शकों ने उसे सराहा और याद किया ।
फिल्म जंजीर अमिताभ बच्चन फिल्मी जीवन में एक मील का पत्थर साबित हुई । एक एंग्री यंगमैन का छवि का उदय हुआ । दर्शक अमिताभ की इस छवि से जुड़कर अपने आप के देखता था । इस फिल्म से उसकी पहचान बनी । हिन्दी फिल्म उद्योग में किसी अभिनेता के ‘ टाइप ‘ बनने की परम्परा रही है ।
मुझे सबसे ज्यादा फिल्म नगरी बाँलीवुड तथा भारतीय सिनेमा के एकछत्र सम्राट अमिताभ बच्चन ही पसंद है । वह मेरा प्रिय अभिनेता है । वह हर भूमिका को सहज भाव से आत्म – सात करके निभाने वाला हीरो है । चाहे वह कॉमेडी हो या फिर ट्रेजडी, चाहे वह एक्शन फिल्म हो या भावुकता से भरी कहानी हो । सिनेमा में निस्संदेह, वह बतौर कलाकार ऊँचे कद और सौम्य व्यक्तित्व के साथ प्रेरणादायी बनकर हम सबके समक्ष है ।
60 वर्ष की आयु पूरी करने के बाद भी उसकी आँखों की चमक और आवाज का दमखम आज भी बरकरार है । 90 के दशक में कई नये नवेले अभिनेता उभरे है किन्तु उसको पराजित करने वाला कोई नहीं है ।
केवल मैं ही नहीं, मेरा पूरा परिवार भी अमिताभ का प्रशंसक है । अमिताभ बच्चन ऊँचा और लम्बा एक सुन्दर युवक है । उसकी मोटी आँखें और तीखे नक्शे हैं । उसके व्यक्तित्व का सबसे बड़ा और महत्त्वपूर्ण गुण यह है कि उसकी आवाज प्रभावशाली मधुर और ओजपूर्ण है । इन्हीं कारणों से वह अभिनय से कुछ वर्षों के बाद ही दर्शकों का हृदय सम्राट बन गया था ।
अमिताभ बच्चन का सम्बन्ध एक अच्छे परिवार से है । वह ‘ मधुशाला ‘ और ‘ मधुबाला ‘ जैसी पुस्तकों के प्रसिद्ध तथा प्रतिभाशाली लेखक श्री हरिवंशराय बच्चन का सुपुत्र है । अमिताभ की शिक्षा भी अच्छी हुई है और वह साहित्यिक वातावरण में बड़ा हुआ है । शैक्षणिक योग्यता प्राप्त करने के बाद अमिताभ ने पूना फिल्म संस्थान से अभिनय में प्रशिक्षण प्राप्त किया ।
शुरू में अमिताभ ख्वाजा अहमद अब्बास की फिल्म ‘ सात हिन्दुस्तानी ‘ जैसी फिल्मों में आया । इन फिल्मों से अमिताभ की अपनी पहचान नहीं बनी । अमिताभ की पहली महत्त्वपूर्ण फिल्म ‘ आनन्द ‘ थी । इस फिल्म में वह कैंसर जैसे जानलेवा रोग से मरने वाले नायक के प्रति अपनी सहानुभूति तथा स्नेह के कारण जाना गया । उसने दर्शकों के हृदयों पर एक छाप छोड़ी । दर्शकों ने उसे सराहा और याद किया ।
फिल्म जंजीर अमिताभ बच्चन फिल्मी जीवन में एक मील का पत्थर साबित हुई । एक एंग्री यंगमैन का छवि का उदय हुआ । दर्शक अमिताभ की इस छवि से जुड़कर अपने आप के देखता था । इस फिल्म से उसकी पहचान बनी । हिन्दी फिल्म उद्योग में किसी अभिनेता के ‘ टाइप ‘ बनने की परम्परा रही है ।
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