Hindi, asked by sharonrphilip24, 1 year ago

Paragraph on netik mulyo ka mahetwa

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Answered by bhavya101
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लालबहादुर शास्त्री, अटल जी ऐसे नेता थे जो नैतिक मूल्यों को महत्व देते थे आज अन्तरात्मा की आवाज न सुनकर केवल भौतिक सुविधाओं की ओर ध्यान दिया जा रहा है.

हर खाद्य पदार्थ जैसे बेसन, दाल, मिर्च, घी, खोया, तेल में मिलावट ही आ रही है. व्यापारी वर्ग अत्यधिक मुनाफे के प्रलोभन में नैतिक मूल्यों को तिलांजलि दे रहा है.

आज नैतिक मूल्यों के अभाव में परिवार टूट रहे हैं, अपने स्वयं के बच्चे, पत्नी के अलावा अन्य सदस्यों पर ध्यान न दिया जा रहा है. पहले नैतिक मूल्यों के कारण संयुक्त परिवार में सभी परिवार के सदस्य इकट्ठे रहते थे.

आध्यात्मिकता का अर्थ किसी विशेष सम्प्रदाय से नहीं है, आध्यात्मिकता का अर्थ है अपनी अन्तरात्मा की आवाज के अनुसार कर्त्तव्य पालन करना !  गांधीजी ने जीवन भर नैतिक मूल्यों को अपने जीवन में स्थान दिया, वे हर कार्य अपनी अंतरात्मा की आवाज (नैतिक मूल्यों) के अनुसार करते थे.

यदि जीवन में उच्च आदर्शों, नैतिक मूल्यों को महत्व दिया जाय तो परिवार से लेकर समाज एवं समाज से लेकर राष्ट्र हर क्षेत्र में चहुँमुखी विकास कर सकता है. आज न्यायालय भी नैतिक मूल्यों के अभाव में सही निर्णय देने में असमर्थ होते जा रहे हैं.

नैतिक मूल्यों के अभाव के कारण व्यक्ति के चरित्र में गिरावट आती जा रही है, आज अपराधों का ग्राफ हर वर्ष बढता जा रहा है. चोरी, डकैती, बलात्कार, हत्याएं इसलिए हो रही हैं कि व्यक्ति स्वयं के जीवन में उच्च आदर्शों, नैतिक मूल्यों को जीवन में स्थान न दे पा रहा है.    इसलिए बच्चों को आज अच्छे संस्कारों की नितान्त आवश्यकता है, हम अपने चरित्र से, व्यवहार से बच्चों के सामने नैतिक मूल्यों के उदाहरण प्रस्तुत करें.

आज के बच्चे ही कल के भविष्य हैं, अतः शिक्षा के साथ साथ नैतिक मूल्यों को जीवन में स्थान दें, हम हर कार्य अपनी अंतरात्मा एवं उच्च आदर्शों को ध्यान में रखकर करें.  परिवार बच्चों की प्रथम पाठशाला है अतः हर माता पिता को स्वयं का आचरण शुद्ध सरल-पवित्र, मर्यादापूर्ण रखना चाहिए. आज जो संस्कार बच्चों में स्थापित होंगे वो ही आगे चलकर देश और समाज के, परिवार के विकास में सहायक होंगे.

ईमानदारी, सत्यता, विवेक, करुना, प्रलोभनों से दूर रहना, पवित्रता ये नैतिक मूल्यों के आदर्श तत्व हैं, इन आदर्श तत्वों (सिद्धांतों) से जीवन में आध्यात्मिकता का जन्म होता है.  एक आदर्श परिवार या देश के संचालन हेतु परिवार के सभी सदस्यों, या देश के सभी नागरिकों में शिष्टाचार, सदाचार, त्याग, मर्यादा, अनुशासन, परिश्रम की आवश्यकता है. यदि जीवन में शिष्टाचार, सदाचार, अनुशासन, मर्यादा है तो परिवार और देश में शांति रहेगी.  यदि परिवार या राष्ट्र में स्वार्थ लोलुपता, पद लोलुपता बनी रहेगी तो परिवार भी टूटेगा, राष्ट्र भी  भ्रष्टाचार से प्रदूषित होता रहेगा.   इसलिए अहंभाव त्यागकर, स्वार्थ त्यागकर,  प्रलोभनों से दूर रहकर अपने व्यक्तिगत जीवन में विनम्रता, त्याग, परोपकार को जीवन में स्थान देना होगा तभी हम एक आदर्श परिवार का सृजन कर सकते हैं, एक आदर्श और खुशहाल राष्ट्र का स्वप्न साकार कर सकते हैं.

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